नई दिल्ली:– विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित ‘गणेश महोत्सव’ की शुरुआत आज से हो चुकी है। अब अगले 10 दिन तक यह महापर्व पूरे जोश और उत्साह के साथ देशभर में मनाया जाएगा। बप्पा की मूर्तियों से पंडाल सज गए हैं और देशभर में उत्साह का माहौल है। अगर बात त्योहारों की करें तो त्योहारों को लेकर सबसे ज्यादा उत्साह व खुशी बच्चों में देखने को मिलती है।
बच्चों के लिए त्योहारों का मौका स्वादिष्ट पकवान खाने और नए रंग-बिरंगे कपड़े पहनने व मस्ती करने का होता है। ऐसे में गणेशोत्सव का यह सही मौका है जहां बच्चों को बप्पा से जुड़े कई गुणों और बातों के बारे में बताया जा सकता है जिनसे बच्चों के भी अच्छे जीवन जीने की सीख मिलें और उनके जीवन में शिक्षा, बुद्धि, ज्ञान और कला का प्रवेश हो। तो आइए बिना देर किए जानते हैं शिक्षा, बुद्धि और ज्ञान के देवता गणपति से जुड़ी जरूरी बातें-
बोलने से ज्यादा सुनने की सीख
हिन्दू धार्मिक शास्त्रों के अनुसार गणेश जी के कान हाथी जैसे हैं। बड़े-बड़े कान होना यह संदेश देता है कि बोलने से ज्यादा व्यक्ति को सुनना चाहिए। जब भी कोई आपसे अपना दुख या कोई जरूरी बात साझा करे तो आप एक अच्छे श्रोता की तरह बात को सुनें और पहले ही कोई राय न बनाएं। आपको बस सामने वाले को अपने दिल की बात कहने देना है। यही चीज आप अपने बच्चों को भी सिखाएं कि वे कम बोलें और ज्यादा सुनें। जब कोई उनसे कुछ कहना चाहे तो वे धैर्यतापूर्वक उनकी बात सुनें। इस आदत से उन्हें आगे आने वाले जीवन में बहुत फायदे होंगे।
अपनी खामियों को स्वीकार करने का गुण
आप गणपति की मूर्ति को दिखाते हुए अपने बच्चे को यह सीख दें कि वो जैसा है, खुद को वैसा ही स्वीकार करे। हममें से कोई भी परफेक्ट नहीं है और हम सभी में कुछ-कुछ न खामियां हैं। जब तक हम खुद से प्यार नहीं करते और खुद को वैसे ही स्वीकार नहीं करते जैसे हम हैं, तब तक हम किसी और से ऐसा करने की उम्मीद नहीं कर सकते। ऐसे में आप बच्चे को समझाएं कि आप जैसे हैं बेस्ट हैं। हर इंसान अपने आप में स्पेशल होता है।
ज्ञान और शक्ति का बुद्धिमानी से करें उपयोग
जैसा कि हमने पहले ही बताया कि गणेश भगवान एक अच्छे श्रोता हैं, यही कारण है कि उनके पास ज्ञान और बु्द्धि का भंडार है। अपने बच्चे को अपने ज्ञान का बुद्धिमानी से उपयोग करने का महत्व समझाएं। आप उन्हें बताएं कि कैसे गणेश जी ने बहुत सारा ज्ञान और शक्तियां होने के बावजूद कभी भी अपने ज्ञान और शक्तियों का दुरुपयोग नहीं किया।
विपरीत परिस्थितियों में भी हार न मानना
आपको बच्चों को सिखाना चाहिए कि उन्हें विपरीत परिस्थितियों में भी बिना रुके और बिना हार माने अपना काम जारी रखना चाहिए। एक कहानी के जरिए आप उन्हें यह बात समझाएं, जिसके अनुसार जब विद्वान ऋषि व्यास उन्हें महाभारत सुना रहे थे जिसे वे लगातार लिख रहे थे, तब अचानक गणेश जी की कलम टूट गई थी। किसी भी बाधा से बचने के लिए, गणेश जी ने तब अपने दांत का त्याग कर दिया और इसे कलम के रूप में इस्तेमाल करके लिखना जारी रखा।
माता-पिता का सम्मान और विवेक का इस्तेमाल करने की सीख
बच्चों को सिखाएं कि किस तरह गणपति अपने माता-पिता का सम्मान करते थे और उन्हें अपनी दुनिया मानते थे। बच्चों को गणेशजी द्वारा माता-पिता की परिक्रमा करने की कहानी सुनाएं जो उन्हें काफी पसंद भी आएगी और वे इससे माता-पिता का महत्व समझेंगे। इस कथा के अनुसार एक बार जब कार्तिकेय ओर गणेश जी के बीच प्रतियोगिता हुई कि कौन पहले पृथ्वी की परिक्रमा कर सकता है तब कार्तिकेय परिक्रमा करने के लिए अपने वाहन मोर पर निकल गए लेकिन गणेश जी ने विवेक का इस्तेमाल किया और माता-पिता को ही संसार मानते हुए उनकी परिक्रमा लगाई। यह देख मातापार्वती ओर पिता शिव गणेशजी से अत्यंत प्रसन्न हुए और इस तरह वे प्रतियोगिता भी जीत गए।