नई दिल्ली:– महाभारत में कौरवों और पांडवों से जुड़ी कई ऐसी घटनाएं हैं, जो आज के समय में भी कही और सुनी जाती हैं. पांडव पांच भाई थे, लेकिन अंगराज कर्ण भी उनके बड़े भाई थे, जो उनकी माता कुंती के विवाह से पूर्व सूर्य देव के मंत्र आह्वान के कारण हुए थे. दरअसल दुर्वासा ऋषि ने कुंति को आशीर्वाद देते हुए एक मंत्र दिया था, जिसका उच्चारण करके वह किसी भी देवता को बुला सकती थीं. उस मंत्र की शक्ति को परखने के लिए कुंती ने सूर्य देव का आह्वान किया तो वे प्रकट हो गए और उनको एक पुत्र भेंट किया. जो आगे चलकर दानवीर कर्ण के नाम से प्रसिद्ध हुआ. उसने पांडवों के खिलाफ महाभारत का युद्ध लड़ा. अर्जुन के हाथों कर्ण के मारे जाने पर कुंती ने ऐसा राज खोला, जिसकी वजह से युधिष्ठिर ने क्रोधित होकर सभी स्त्रियों को श्राप दे डाला. आइए जानते हैं इस प्रसंग के बारे में.
कुंती ने खोला कर्ण का राज
महाभारत के शांति पर्व में इस प्रसंग का उल्लेख मिलता है. अर्जुन के हाथों कर्ण वीर गति को प्राप्त हुआ था. कर्ण के वीरगति होने की खबर सुनकर कुंती व्याकुल हो गईं और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे. युद्ध खत्म होने के बाद जब पांचों पांडव अपनी माता कुंती के पास पहुंचे तो उन्होंने बताया कि कर्ण कोई और नहीं, तुम सभी का बड़ा भाई है.
माता कुंती के मुख से यह बात सुनकर सभी भाई आश्चर्यचकित रह गए. उनको जब यह बात पता चली तो वे कर्ण की मृत्यु से काफी दुखी हो गए. उसी दौरान माता कुंती ने कर्ण और बाकी 5 पांडवों के जन्म की घटना बताई.
गुस्साए युधिष्ठिर ने स्त्रियों को दिया श्राप
पांडवों ने कर्ण का विधिपूर्वक अंतिम संस्कार किया. माता से कर्ण के भाई होने के रहस्य को जानने के बाद युधिष्ठिर अपनी माता कुंती पर काफी क्रोधित हो गए. तभी उन्होंने सभी स्त्रियों को श्राप दिया कि वे आज से कभी भी कोई बात छिपाकर नहीं रख सकेंगी. लोक मान्यता है कि इस श्राप के कारण ही महिलाएं कोई बात छिपा नहीं पाती है. यदि उनसे कोई बात कही जाए तो वे दूसरे से कहे बिना नहीं रह पाती हैं.
इस कलियुग में भी लोग महिलाओं को लेकर कह देते हैं कि इनके पेट में कोई बात पचती नहीं है. यह एक प्रकार से किसी के व्यक्तिव की खामी भी मानी जाती है. लोक मान्यता है कि युधिष्ठिर के उस श्राप का दंश आज भी महिलाएं झेल रही हैं. हालांकि किसी बात को गुप्त न रख पाने में महिलाएं ही नहीं, पुरुष भी असफल होते हैं
पांच पांडव किस देवता के पुत्र थे
कुंती का विवाह राजा पांडु से हुआ था. उनकी दूसरी पत्नी का नाम माद्री था. विवाह के बाद कुंती ने दुर्वासा ऋषि के दिए मंत्र से अपने लिए 3 पुत्र युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन, माद्री के लिए नकुल और सहदेव को प्राप्त किया था. कुंती ने बारी बारी से 5 देवों धर्म के देवता, पवन देवता, देवराज इंद्र, 2 अश्विनी कुमारों नासत्य और दस्त्र का आह्वान किया था.
कुंती को धर्म के देवता से युधिष्ठिर, पवन देव से भीम, देवराज इंद्र से अर्जुन, नासत्य और दस्त्र से नकुल और सहदेव को पुत्र के रूप में प्राप्त हुए थे.