नई दिल्ली:- कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की ग्यारस को देवउठनी एकादशी मनाते हैं. माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं. इस दिन तुलसी पूजन अवश्य करना चाहिए. क्योंकि, तुलसी को माता लक्ष्मी का ही रूप माना गया है. एकादशी के दिन तुलसी पूजने से भगवान विष्णु बेहद प्रसन्न होते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह समय पितृदोष निवारण के लिए सबसे उत्तम है. वहीं, अगर जातक के घर मे कुछ समस्या है या घर मे आर्थिक तंगी है तो देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी से जुड़े कुछ उपाय करने से समस्याओं से निजात मिल सकती है
देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
इस बार कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी 11 नवंबर की शाम 6:46 बजे से शुरू होकर 12 नवंबर की शाम 4:04 बजे तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार, देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर को ही रखा जाएगा. व्रत का पारण अगले दिन 13 नवंबर को सुबह 6:42 से 8:51 बजे तक किया जाएगा.
पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की यह एकादशी सूर्य की ऊर्जा को बढ़ाने और पितृ दोष निवारण के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस एकादशी पर पितृ दोष से पीड़ित लोगों को विधिपूर्वक व्रत रखना चाहिए. इस दिन का उपवास पितरों को नरक के कष्टों से मुक्त करता है, और उन्हें मोक्ष का लाभ प्राप्त होता है. इसके अलावा, इस दिन भगवान विष्णु या अपने इष्ट-देव का ध्यान और पूजा करना अति लाभकारी है. इस दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करने से विशेष फल मिलता है.
देवउठनी एकादशी के 5 खास उपाय
तुलसी-शालीग्राम का पूजन: इस दिन तुलसी और शालीग्राम का आध्यात्मिक विवाह किया जाता है. तुलसी की पूजा का महत्व इस दिन अत्यधिक होता है क्योंकि तुलसी अकाल मृत्यु से बचाने में सहायक मानी जाती है. तुलसी और शालीग्राम की पूजा से पितृ दोष का निवारण होता है.
पीपल के नीचे दीया जलाना: इस दिन रात में पीपल वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. माना जाता है कि पीपल के वृक्ष में देवताओं का वास होता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. इसके अलावा, आटे के दीपक बनाकर उसे पत्ते पर रखकर नदी में प्रवाहित करने से भी पितृ दोष का नाश होता है.
पूजन विधि: इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें. गन्ने का मंडप बनाएं और बीच में चौक बनाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. भगवान के चरण चिह्न बनाकर उन्हें गन्ना, सिंगाड़ा, पीले फल और मिठाई अर्पित करें. घी का दीपक जलाएं और इसे पूरी रात जलने दें, इसके बाद विष्णु पुराण या व्रत कथा सुनें.
व्रत के नियम: देवउठनी एकादशी पर उपवास के नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है. इस दिन केवल निर्जल या जलीय पदार्थों पर उपवास रखना चाहिए, लेकिन बीमार, बुजुर्ग, बच्चों, या व्यस्त व्यक्तियों के लिए एक बार भोजन करने का नियम मान्य है. इस दिन चावल और नमक से परहेज करना चाहिए.
सात्विक भोजन खाएं: इस दिन तामसिक आहार जैसे प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा या बासी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. केवल सात्त्विक आहार का सेवन करें और भगवान विष्णु की उपासना में ध्यान लगाएं. ऐसा करने से मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है.