नई दिल्ली:– दक्षिण भारत के सर्वाधिक प्रमुख त्यौहारों में से एक ‘ओणम’ का त्यौहार है जो बेहद ख़ास माना जाता है। ओणम के पर्व को मुख्य रूप से केरल में मनाया जाता हैं, लेकिन इसकी रौनक समूचे भारत में दिखाई देती है। ओणम का त्योहार एक या दो नहीं बल्कि 10 दिन तक चलता है।धार्मिक मान्यता के अनुसार, ओणम का त्योहार दानवीर राजा बलि के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु जी और महाबली की पूजा करना शुभ माना जाता है। वहीं कुछ लोग खेतों में अच्छी फसल आए, इसके लिए भी ओणम का त्योहार मनाते हैं।
मलयालम भाषा में ओणम को थिरुवोणम नाम से जाना जाता है। इस बार इस पर्व की शुरुआत 6 सितंबर 2024 से हो रही है, जिसका समापन 15 सितंबर 2024 को होगा। 15 सितंबर को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:51 से लेकर दोपहर 12:41 मिनट तक है। आइए
जानें ओणम पर्व के 10 दिन के महत्व के बारे में
1- प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। यहां सभी धर्मों के अपने अपने त्यौहार हैं। कुछ त्यौहार तो देशभर में सार्वजनिक रूप से मनाएं जाते हैं। ओणम को खासतौर पर खेतों में फसल की अच्छी उपज के लिए मनाया जाता है।
2-किसी राज्य विशेष के त्योहारों की बात करें तो, दक्षिण भारत के केरल में ओणम त्यौहार उत्तरी भारत के दीपावली जितना ही महत्वपूर्ण है। भारत के मुख्य त्योहारों की बात करें तो दिवाली, होली, ईद, बैसाखी, क्रिसमस, दुर्गा पूजा आदि है।
3- बता दें, ओणम एक मलयाली त्यौहार है, जो किसानों का त्यौहार है, लेकिन इसे सभी लोग मनाते है। उस समय केरल राज्य में छुट्टी भी होती है।
4- यहाँ इस दौरान 10 दिन की छुट्टी रहती है। इस त्यौहार की प्रसिद्धता को देखते हुए, 1961 में इसे केरल का नेशनल पर्व घोषित कर दिया गया। ओणम का त्यौहार पूरे केरल में 10 दिनों तक मनाया जाता है।
5-भारत सरकार इस रंगबिरंगे त्यौहार को अन्तराष्ट्रीय तौर पर बढ़ावा दे रही है, जिससे ओणम त्यौहार के समय अधिक से अधिक पर्यटक केरल आ सकें। इसका असर देखा भी जा सकता है, भगवान का देश कहे जाने वाले केरल को देखने के लिए, ओणम के दौरान सबसे अधिक लोग जाते हैं।
6- ओणम उत्सव के दौरान एक पारंपरिक दावत समारोह का आयोजन किया जाता है, इस समारोह में मीठे व्यंजनों के अलावा नौ स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनमें पचड़ी काल्लम, ओल्लम, दाव, घी, सांभर, केले और पापड़ के चिप्स मुख्य रूप से बनाए जाते हैं। इन व्यंजनों को केले के पत्तों पर परोसा जाता है। लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवार वालों को इस पर्व की शुभकामनाएं देते हैं।