कोरबा/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा एवं सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति रविशंकर नगर कोरबा के संयुक्त तत्वाधान से कपिलेश्वरनाथ मंदिर,रविशंकर नगर कोरबा में महिलाओं एवं बच्चों से संबंधित विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। उक्त अवसर पर सत्येन्द्र कुमार साहू,प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा, जयदीप गर्ग,विशेष न्यायाधीश (एस.सी./एस.टी.) पीए एक्ट कोरबा, मान. डाॅ. ममता भोजवानी, जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश एफ.टी.एस.सी. (पाॅक्सो) कोरबा,सुनील कुमार नन्दे, तृतीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश कोरबा, कु. डिम्पल सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा, लव कुमार, व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी एवं सम्मानीय अधिवक्तागण, सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति के पदाधिकारीगण एवं श्रोतागण उपस्थित रहे। सत्येन्द्र कुमार साहू, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोरबा/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि सामाजिक व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने के लिए कानून की व्यवस्था की गई है। कानून में महिलाओं को विशेष अधिकार प्रदान किये गये है। जब कानून की आवश्यकता होती है तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से संपर्क स्थापित करके अथवा पुलिस थाना में रिपोर्टिंग करके अथवा अपने ज्ञान का सही उपयोग करते हुए कानूनी सहायता प्राप्त किया जा सकता है। पहले सती प्रथा, महिलाओं के स्कूल जाने पर रोक था परंतु आज देश के हर प्रतिष्ठित स्थान पर महिलाएं अपना प्रतिनिधित्व निभा रही है, कानून में भी महिलाओं को सम्पति का अधिकार प्रदान किया गया है जो इस समाज में बहुत अच्छा परिवर्तन को दर्शाता है तथा स्थितियां सुधर रही है। स्थितियों को सहेजने एवं संवारने की आवश्यकता है, तभी जब ज्ञान को सही दिशा में उपयोग किया जायेगा तो एक सशक्त एवं मजबूत समाज का निर्माण होगा। कानून के अंतर्गत कंडीशन लेनी पड़ती है, जब तक कानून की मान्याता न हो तब तक कोई भी काम उपयोगी नहीं रहेगा। अतएव जो भी कार्यवाही करें कानून के हिसाब से कानून के दायरे में रहकर कार्यवाही करें।
जयदीप गर्ग, विशेष न्यायाधीश (एस.सी./एस.टी.) पीए एक्ट कोरबा द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि बच्चे ही देश का भविष्य है। बच्चों को संविधान ने अनेक अधिकार प्रदान किए है जैसे- गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा,14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए बालश्रम निषेध। बालश्रम निषेध अंतर्गत बच्चों को सीखने की मनाही नहीं है, बल्कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से जबरन काम लेने की मनाही है। ज्ञान एक तरह का चाकू है। जैसे चाकू का उपयोग सब्जी काटने के लिए किया जाता है ऐसे ही माता पिता को चाहिए कि बच्चों के ज्ञान को सही दिशा में लगाने की कोशिश करें जिससे यह पूरा समाज सशक्त एवं मजबूत बनेगा। टीवी, इंटरनेट की दुनिया एडवांस है,जिसमें हर तरह की चीजें उपलब्ध है। इन साधनों में ज्ञान प्राप्त करने के साथ-साथ अपराध करने के तरीके भी उपलब्ध है। इसलिए माता पिता को चाहिए कि बच्चों को जागरूक करें, जिससे वे अपने ज्ञान का सही दिशा में उपयोग कर सके। घर से सजग होकर निकले, आत्मरक्षा की तैयारी करके निकले। जब महिला वित्तीय रूप से सक्षम होगी तब वह अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों से प्रतिकार करने के लिए स्वयं ही सक्षम हो जाएगी।
मान. डाॅ. ममता भोजवानी, जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश एफ.टी.एस.सी. (पाॅक्सो) द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि बच्चों को लैंगिक अपराधों से बचाने के लिए पाॅक्सो एक्ट कानून बनाया गया है। प्रत्येक चाहे वह लड़का हो अथवा लड़की, यदि उसकी आयु 18 वर्ष से कम है, उनको बच्चे के रूप में परिभाषित किया गया है। आज टीवी, इंटरनेट एवं अन्य इलेक्ट्रोनिक सामान सूचनाओं का बहुत बड़ा संग्रह है। माता-पिता के रूप में सूचनाओं का उपयोग कहां तक किया जाना है तथा कहां तक रोक लगाना है, इसकी जानकारी बच्चों को देनी चाहिए। अपने बच्चों को सशक्त बनाइऐ, जिससे यदि कोई गलत हरकत करे तो बच्चा उसका तुरंत प्रतिकार कर सके। संस्कारी और सभ्य समाज की नींव एक मां रख सकती है। मां अपने बच्चों को मजबूत और सबल बनाने के लिए सुशिक्षा दे,अच्छे संस्कार दे, प्रतिकार करने की समझाइश दे, उन्हें इतना सबल बनाये कि उनके साथ अप्रिय घटना घटित हो तो वह बता सके।
सुनील कुमार नन्दे, तृतीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश कोरबा द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि यह आयोजन एक विधिक साक्षरता शिविर है। विधिक साक्षरता शिविर के माध्यम से लोगों में विधिक जागरूकता लायी जाती है। वेदों में कहा गया है कि ‘‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः’’ यह हमारे संस्कृति का द्योतक है और जहां जहां हम महिलाओं का सम्मान करते हैं वहां का समाज उन्नति करता है। कानून सबके लिए समान है परंतु महिलाओं को अपवाद में रखते हुए कानून में विशेष प्रावधान एवं विशेष उपबंध किये गये हैं। जैसे महिलाओं को त्वरित न्याय,उनके साथ घटित अपराध के लिए पूर्व स्थिति में लाने के लिए पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना अंतर्गत क्षतिपूर्ति राशि का प्रदान किया जाता है। पुरूष प्रधान समाज के कारण महिलाओं को कहीं बाहर आने जाने से वंचित रखा जाता था परंतु जब से महिलाओं को शिक्षा एवं अधिकार प्राप्त हुए तो हमारा समाज दिन दुनी रात चैगनी तरक्की करने लगा। महिला परिवार एवं समाज में सशक्त है। यही महिला सशक्तिकरण है। इस दिशा में न सिर्फ सरकार बल्कि कानून भी लगा हुआ है।
कु. डिम्पल सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि हमलोग सायबर क्राईम के बारे में बहुत सूनते हैं, आजकल हम किसी को काॅल भी करते हैं तो फोन में सायबर क्राईम के संबंध में सतर्क भी किया जाता है। इंटरनेट का उपयोग करके किया गया अपराध सायबर अपराध है। फोन, कम्प्यूटर या किसी इलेक्ट्रोनिक डिवाइस में संरक्षित डाटा का अनाधिकृत उपयोग सायबर क्राईम है। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (संशोधित 2008) लाया गया है। किसी तरह की बाधाएं न्याय को पाने में अवरोध नहीं बन सकती है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विधिक जागरूकता कार्यक्रम एवं विधिक जागरूकता शिविर के माध्यम से एवं राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के उद्देश्य ‘‘न्याय सबके लिए’’ को साकार करते हुये न्याय पाने को अवरोध को समाप्त कर रही है। प्रत्येक गांव या शहर या कहीं भी चाहे आर्थिक परेशानी हो, महिलाएं अथवा बच्चे, प्राकृतिक आपदा से पीड़ित व्यक्ति अथवा कोई व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय 150000/- रूपये से कम हो, प्राधिकरण द्वारा उसे नियमानुसार निःशुल्क सलाह/सहायता प्रदान किया जाता है।
लव कुमार, व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी कोरबा द्वारा सायबर अपराध से बचने के उपाए सुझाते हुए बताया गया कि अपने अधिकारों के प्रति सजग रहे। सोशल मीडिया पर अनजान फ्रेंड रिक्वेस्ट को अनुमति प्रदान न करे। साईबर अपराधी नकली प्रोफाईल बनाते है। हमेशा सोशल मीडिया का पासवर्ड अल्फान्यूमेरिक नंबर में परिवर्तित करते रहें जिससे आपका प्रोफाईल कोई हैक न कर सके। तस्वीरों को केवल जान पहचान द्वारा देखे जा सकने वाली सैटिंक करें। सोशल मीडिया या इंटरनेट का उपयोग करते समय सावधानी बरतें।
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