नई दिल्ली:- डायबिटिक न्यूरोपैथी एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो डायबिटीज के रोगियों को प्रभावित करती है. जैसे -जैसे डायबिटीज के रोगियों की उम्र बढ़ती जाती है, डायबिटिक न्यूरोपैथी के विकास का खतरा बढ़ जाता है. बता दें, डायबिटीज से पीड़ित लोगों और अधिक वजन वाले लोगों को डायबिटीज न्यूरोपैथी होने की संभावना होती है. कई शोधों से पता चलता है कि हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल के लोगों, किडनी की बीमारियों, शराब पीने वालों और स्मोकिंग करने वालों लोगों में डायबिटीज न्यूरोपैथी के विकास का खतरा अधिक होता है. इसके साथ ही, शरीर में कुछ जीन डायबिटिक न्यूरोपैथी की संभावना को भी बढ़ा सकते हैं.
क्या होता है डायबिटिक न्यूरोपैथी
हैदराबाद के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार के मुताबिक, डायबिटिक न्यूरोपैथी डायबिटीज के कारण होने वाली तंत्रिका क्षति है. जब डायबिटीज अनियंत्रित रहता है, तो यह शरीर में नसों को नुकसान पहुंचाता है. यह नसों को नुकसान पहुंचाकर विभिन्न लक्षणों का कारण बन सकता है, जिनमें दर्द, सुन्नता और झुनझुनी शामिल हैं, खासकर हाथ और पैरों में.
इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब शुगर लेवल नियंत्रित नहीं होता है, यानी खून में ग्लूकोज का लेवल अधिक होता है और ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल अधिक होता है. तो तंत्रिका क्षति हो सकती है. इसमें नसों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्रदान करने वाली छोटी रक्त वाहिकाएं दब जाती हैं. इस वजह से नसों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है, इसलिए वे ठीक से काम नहीं करती हैं, इसे डायबिटिक न्यूरोपैथी कहते हैं.
हैदराबाद के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार के मुताबिक, डायबिटिक न्यूरोपैथी के चार मुख्य प्रकार हैं. आपको एक प्रकार या एक से अधिक प्रकार की न्यूरोपैथी हो सकती है. आपके लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपको किस तरह की बीमारी है और कौन सी नसें प्रभावित हैं. आमतौर पर, लक्षण धीरे-धीरे डेवलप होते हैं. जब तक तंत्रिकाओं को अधिक नुकसान नहीं पहुंच जाता, तब तक आपको कुछ भी गड़बड़ नहीं दिखाई दे सकती है. इसमें शामिल है…
परिधीय न्यूरोपैथी
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार, इस प्रकार की न्यूरोपैथी को डिस्टल सिमेट्रिक पेरिफेरल न्यूरोपैथी भी कहा जा सकता है. यह डायबिटिक न्यूरोपैथी का सबसे आम प्रकार है. यह सबसे पहले पैरों और टांगों को प्रभावित करता है, उसके बाद हाथों और बांहों को. पेरिफेरल न्यूरोपैथी के लक्षण अक्सर रात में बदतर होते हैं, और इसमें ये शामिल हो सकते हैं:
सुन्नपन या दर्द या तापमान में परिवर्तन महसूस करने की क्षमता में कमी
झुनझुनी या जलन महसूस होना
तेज दर्द या ऐंठन
मांसपेशियों में कमजोरी
स्पर्श के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता – कुछ लोगों के लिए, बिस्तर की चादर का वजन भी दर्दनाक हो सकता है
पैरों की गंभीर समस्याएं, जैसे अल्सर, इंफेक्शन, हड्डी और जोड़ों की क्षति
स्वायत्त न्यूरोपैथी (Autonomic neuropathy)
ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट , पसीना, आंखें, मूत्राशय, पाचन तंत्र और यौन अंगों को नियंत्रित करता है. मधुमेह इनमें से किसी भी क्षेत्र में तंत्रिकाओं को प्रभावित कर सकता है, जिसके कारण शरीर में यह लक्षण देखें जा सकते हैं.
ब्लड शुगर लेवल कम होने के बारे में जागरूकता की कमी (हाइपोग्लाइसीमिया अनवेयरनेस)
बैठने या लेटने से उठते समय ब्लड प्रेशर में गिरावट, जिसके कारण चक्कर आना या बेहोशी हो सकती है. (ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन)
ब्लैडर या इंटेस्टाइन संबंधी समस्याएं
पेट का धीरे-धीरे खाली होना (गैस्ट्रोपेरेसिस), जिसके कारण मतली, उल्टी, पेट भरा होने का अहसास और भूख न लगना
निगलने में कठिनाई
आंखों के प्रकाश से अंधेरे या दूर से पास की ओर एडजस्ट होने के तरीके में बदलाव
बहुत अधिक या कम पसीना आना
यौन प्रतिक्रिया से संबंधित समस्याएं, जैसे महिलाओं में योनि का सूखापन और पुरुषों में स्तंभन दोष (Erectile dysfunction)
प्रॉक्सिमल न्यूरोपैथी (डायबिटिक पॉलीरेडिकुलोपैथी)
इस प्रकार की न्यूरोपैथी अक्सर जांघों, कूल्हों, नितंबों (Buttocks) या पैरों की नसों को प्रभावित करती है. यह पेट और छाती के क्षेत्र को भी प्रभावित कर सकती है. लक्षण आमतौर पर शरीर के एक तरफ होते हैं, लेकिन दूसरी तरफ भी फैल सकते हैं. प्रॉक्सिमल न्यूरोपैथी में शामिल हो सकते हैं..
नितंब, कूल्हे या जांघ में तेज दर्द
कमजोर और सिकुड़ती हुई जांघ की मांसपेशियां
बैठने की स्थिति से उठने में कठिनाई
छाती या पेट की दीवार में दर्द
मोनोन्यूरोपैथी (फोकल न्यूरोपैथी)
मोनोन्यूरोपैथी, जिसे फोकल न्यूरोपैथी भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें केवल एक नर्व या ग्रूप ऑफ नर्व को नुकसान पहुंचता है. यह तंत्रिका नुकसान शरीर के किसी एक भाग या क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है, जैसे हाथ, पैर, या चेहरे. इस प्रकार की न्यूरोपैथी के लक्षण अचानक आते हैं और आमतौर पर कुछ हफ्तों या महीनों में ठीक हो जाते हैं.
ध्यान केन्द्रित करने में कठिनाई, डबल विजन या डिप्लोपिया
चेहरे के एक तरफ लकवा मारना
हाथ या उंगलियों में सुन्नपन या झुनझुनी
हाथ में कमजोरी जिसके कारण चीजें गिर सकती हैं
पिंडली या पैर में दर्द
पैर के अगले हिस्से को उठाने में कठिनाई के कारण होने वाली कमजोरी (फुट ड्रॉप)
जांघ के अगले हिस्से में दर्द
डॉक्टर को कब दिखाएं
अगर आपको इनमें से कोई भी स्थितियां हों तो अपॉइंटमेंट के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें.
आपके पैर पर कोई घाव या ऐसा घाव जो संक्रमित हो या ठीक न हो रहा हो
आपके हाथों या पैरों में जलन, झुनझुनी, कमजोरी या दर्द जो दैनिक गतिविधियों या नींद में बाधा डालता है.
पाचन, पेशाब या यौन क्रिया में बदलाव
चक्कर आना और बेहोशी