नई दिल्ली:– एक देश-एक चुनाव संबंधी विधेयकों पर विचार कर रही संसदीय समिति जल्द ही इस मुद्दे पर देशभर से लोगों के सुझाव आमंत्रित करने के लिए वेबसाइट शुरू करेगी। संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक, 2024 से संबंधित संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष भाजपा नेता पीपी चौधरी ने कहा कि समिति पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रही है।
संयुक्त संसदीय समिति पारदर्शिता पर कर रही काम
समिति यह सुनिश्चित करना चाहती है कि एक साथ चुनाव के मुद्दे पर सभी को अपने विचार साझा करने का अवसर मिले। समिति ने भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एवं राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई और दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन के विचार भी सुने।
देशभर से ज्ञापन आमंत्रित करने के लिए विज्ञापन भी जारी होगा
चौधरी ने कहा कि समिति के सदस्यों के लिए वेबसाइट का प्रेजेंटेशन भी आयोजित किया गया। समिति एक साथ चुनाव कराने के संबंध में देशभर से ज्ञापन आमंत्रित करने के लिए विज्ञापन भी जारी करेगी। उन्होंने कहा कि 1952 से 1967 तक पूरे देश में एक साथ चुनाव हुए, लेकिन इसके बाद यह क्रम टूट गया।
चुनावी प्रक्रियाओं में मजबूत करने के लिए चुनाव आयोग ने की पहल
मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोपों के बीच चुनाव आयोग ने इस मामले को सुलझाने की मंगलवार को पहल की। चुनावी प्रक्रिया मजबूत करने के लिए आयोग ने राजनीतिक दलों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया। चुनाव आयोग ने सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों से चुनावी पंजीकरण अधिकारियों, जिला निर्वाचन अधिकारियों और मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के स्तर पर ‘किसी भी अनसुलझे मुद्दे’ को लेकर 30 अप्रैल तक सुझाव आमंत्रित किए हैं।
आयोग ने मंगलवार को राजनीतिक दलों को अलग-अलग लिखे पत्र में पार्टी अध्यक्षों और वरिष्ठ सदस्यों के साथ ‘परस्पर सुविधाजनक समय पर बातचीत करने का सुझाव दिया है ताकि स्थापित कानून के अनुसार चुनावी प्रक्रियाओं को और मजबूत किया जा सके।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने जारी किया था आदेश
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पिछले सप्ताह आयोग के एक सम्मेलन में सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों, जिला निर्वाचन अधिकारियों और निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे राजनीतिक दलों के साथ नियमित रूप से संवाद करें। ऐसी बैठकों में प्राप्त सुझावों का समाधान पहले से मौजूद कानूनी ढांचे के भीतर करें तथा 31 मार्च तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करें।
आयोग ने राजनीतिक दलों से भी संवाद की इस प्रणाली का उपयोग करने का आग्रह किया था। इस प्रणाली के लिए आयोग द्वारा चिह्नित 28 प्रमुख हितधारकों में से एक राजनीतिक दल भी हैं।