नई दिल्ली:– सनातन धर्म में पूजा-पाठ को लेकर बहुत सारी मान्यताएं हैं, जिसे लोग आज भी मानते हैं। इन्हीं रीति-रिवाज में से एक नियम मंदिर में घंटी बजाना भी है, जिसका पालन आपने लोगों को अक्सर करते हुए देखा होगा। वहीं, कुछ लोग मंदिर से निकलते वक्त भी घंटी बजाते हैं, जिसे पूर्ण रूप से गलत माना गया है, तो आइए इसके पीछे का कारण जानते हैं
आपने हर मंदिर में एक घंटी देखी होगी, क्योंकि हिंदू संस्कृति में घंटियां बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। चाहे वो मंदिरों में हो या फिर किसी पूजा अनुष्ठान में। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी भी शुभ कार्य के आरंभ में घंटी बजाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इसे बजाने से ॐ मंत्र का पूरा उच्चारण हो जाता है, जो शुभता और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
साथ ही अनुष्ठान व मूर्तियों की चेतना को जागृत करता है और भक्ति के प्रभाव को बढ़ाता है। इसलिए इस परंपरा का पालन लंबे समय से हो रहा है।
शास्त्रों के अनुसार, जब हम मंदिर जाते हैं, तो हमारे मन में कई तरह के विचार उत्पन्न होते हैं, जिनमें बुरे और अच्छे विचार दोनों ही शामिल होते हैं। ऐसा माना जाता है कि मंदिर में प्रवेश करते ही घंटी बजाने से व्यक्ति के बुरे विचार और सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। साथ ही देवी-देवताओं के दर्शन के पश्चात मन में अच्छी ऊर्जा और विचार प्रवाहित होने लगते हैं।
वहीं, मंदिर से निकलते वक्त घंटी बजाने से सारी दिव्य ऊर्जा भ्रमित होकर नष्ट हो जाती हैं। इसलिए कहा जाता है कि सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखने के लिए मंदिर से बाहर निकलते समय घंटी नहीं बजानी चाहिए।