नई दिल्ली:– देश में मुफ्त बिजली की राजनीति लगातार परवान चढ़ रही है। यह राजनीति केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी पीएम सूर्य घर- मुफ्त बिजली योजना की राह में अड़चन खड़ी करने लगी है, क्योंकि लोगों के मन में यह भावना घर कर रही है कि जब उन्हें 100-200 यूनिट मुफ्त ही मिलने वाली है तब वह अपनी छत पर सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की जहमत क्यों करे।
इस योजना को लाग करने में जुटी नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) की टीम को भी इस बात का अहसास है और वह इस खतरे को दूर करने के लिए राज्यों को समझाने में जुटे हैं कि पीएमएसजी-एमबीवाई कैसे राज्य के वित्तीय स्वास्थय और हर व्यक्ति को बिजली उपलब्ध कराने के लिए महत्वपूर्ण है। राज्यों को यह भी बताया जा रहा है कि समाज के कम आय वाले वर्ग को मुफ्त बिजली देने के लिए पीएमएसजी ज्यादा सही विकल्प साबित हो सकता है।
फरवरी में किया गया था लॉन्च
पीएमएसजी को फरवरी, 2024 में पीएम नरेन्द्र मोदी के सौजन्य से लॉन्च किया गया था। तीन वर्षों के दौरान एक करोड़ घरों को इस योजना से जोड़ना का लक्ष्य रखा गया था। अभी इसकी प्रगति बहुत धीमी है, जिस पर पिछले हफ्ते संसदीय समिति ने अपनी चिंता जताई है। दूसरी तरफ, योजना की रफ्तार को बढ़ाने को एमएनआरई प्रतिबद्ध दिखती है। एक करोड़ घरों को इस योजना से जोड़ने के लिए रोजाना 10 हजार घरों की छत पर सौर ऊर्जा पैनल लगाने की जरूरत है।
ताजे आंकड़े बताते हैं कि रोजाना तीन हजार घरों तक ही योजना पहुंच पा रही है। यानी तीन गुणा ज्यादा तेजी दिखानी होगी। एमएनआरई के आंकड़ें यह भी बताते हैं कि देश के कई बड़े राज्यों की तरफ से इस योजना को लागू करने की गति बहुत ही धीमी है। 75,021 करोड़ रुपये की इस योजना के तहत कुल 6.50 लाख घरों को अभी तक बिजली पहुंचाई गई है, लेकिन इसका 45 फीसद गुजरात में है। 21 फीसदी हिस्सेदारी के साथ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है।
बड़े राज्यों की हिस्सेदारी काफी कम
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों की हिस्सेदारी सिर्फ 8 फीसद और 3 फीसद है। काफी ज्यादा संभावनाओं वाले राज्य राजस्थान की हिस्सेदारी भी तीन फीसद है। वैसे केंद्र की योजना के मुताबिक यह योजना लागू हो जाए तो इससे देश में 30 हजार मेगावाट बिजली लोगों के छतों पर लगे सौर पैनल से ही बनने लगेगी।
दैनिक जागरण ने इस योजना की प्रगति को लेकर जब उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्य के अधिकारियों से बात की तो उनका कहना है कि आम जनता की तरफ से इसकी बहुत ज्यादा मांग नहीं आ रही। लोगों के बीच इसको लेकर बहुत उत्साह नहीं है। पहली बात तो यह कि तकरीबन हर राज्य में कोई न कोई राजनीतिक दल मुफ्त बिजली देने का राग अलाप रही है। कुछ राज्यों में तो यह लागू भी हो चुकी है।
300 यूनिट तक मिलेगी मुफ्त बिजली
पीएमएसजी-एमबीवाई के तहत छत पर सोलर पैनल लगा कर 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली हासिल की जा सकती है, लेकिन इसके लिए व्यक्ति को कुछ राशि शुरुआत में लगानी होगी। राज्यों के माध्यम से इसका एक हिस्सा बतौर सब्सिडी बाद में मिलती है। इस बारे में एमएनआरई के अधिकारियों का कहना है कि सब्सिडी देर से मिलना भी एक अड़चन थी, जिसे काफी हद तक दूर कर लिया गया है। अब जो भी व्यक्ति इस स्कीम का फायदा उठा रहा है, उसके हिस्से की सब्सिडी दस दिनों में भुगतान कर दी जा रही है। हम इसे घटा कर 5-7 दिन करने पर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वेंडर इकोसिस्टम को भी बेहतर करने की कोशिश की जा रही है। जून, 2024 में सिर्फ 6,913 वेंडर थे, जिनकी संख्या अब 10,313 हो चुकी है। एक बड़ी अड़चन बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) और ग्राहकों के पास इस योजना की जानकारी का अभाव है। दूर दराज के डिस्कॉम को खास तौर पर सूर्य घर योजना के बारे में जागरूक करने पर जोर दिया जा रहा है। आम जनता के बीच इस योजना को ज्यादा लोकप्रिय बनाने के लिए जिन लोगों ने इसे सफलतापूर्वक लगाया है, उन्हें ब्रांड एंबेसडर बना कर आगे लाने की योजना है।