नई दिल्ली:– नहाने से न केवल हमारा शरीर साफ सुथरा होता है, बल्कि इससे मानसिक शांति और ताजगी भी महसूस होती है. हिंदू धर्म में ब्रह्म मुहूर्त में नहाने को बहुत ही शुभ माना गया है. रोज सुबह शास्त्रीय पद्धति से उठकर नित्यकर्म करना और नहाना जीवन शैली में बहुत सकारात्मक प्रभाव डालता है. इस समय जब कई राज्यों में भीषण सर्दी पड़ रही है, तो लोग नहाने से कतराते हैं और नहाना कई बार छोड़ भी देते हैं. लेकिन वृंदावन की फेमस प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) ने बताया है कि धार्मिक ग्रंथो के अनुसार हमें किस तरीके से नहाना चाहिए और इसकी पद्धति क्या है.
वृंदावन के फेमस संत प्रेमानंद महाराज ने बताया कि नहाने के लिए हमेशा ठंडे पानी का ही इस्तेमाल करना चाहिए. शास्त्रीय पद्धति के अनुसार, सबसे पहले नाभि से स्नान करना चाहिए, यानी कि आप नाभि पर सबसे पहले पानी डालें और फिर स्नान करें. शादी से पहले या ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले लोग ये पद्धति अपना सकते हैं. प्रेमानंद महाराज ने बताया है कि नहाते वक्त साबुन-सोडा का इस्तेमाल करना भी जरूरी नहीं है, क्योंकि शरीर पर मैल तब बनता है जब हम तेल लगाते हैं, क्योंकि तेल पर गंदगी चिपकती है. आप रज यानी की मिट्टी लगाकर अपने शरीर को धो सकते हैं, इससे शरीर कभी भी मैला नहीं होगा.
किस तरह धोने चाहिए बाल
प्रेमानंद महाराज ने ब्रह्मचारियों को बताया है कि अगर आपको अपनी जटाओं यानी कि बालों को साफ करना है, तो आप रीठा या किसी पवित्र चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे बाल साफ हो जाए. प्रेमानंद महाराज ने बताया है कि अगर आप महकता हुआ साबुन या अन्य चीजों का इस्तेमाल करते हैं, तो इससे राग उत्पन्न होता है. त्वचा खुद ही साफ रहेगी अगर आप तेल नहीं लगाएंगे. तो अगर आप ब्रह्मचर्य में है, तो तेल लगाने की जरूरत ही क्या है, ठंडे पानी से नहाना ब्रह्मचारी के लिए बहुत जरूरी है.
कितने तरह का होता है स्नान
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, स्नान चार प्रकार के होते हैं. सूर्योदय से पहले तारों की छांव में स्नान ऋषि स्नान कहलाता है. वहीं, ब्रह्म मुहूर्त में नहाने को ब्रह्म स्नान कहा जाता है, तीर्थ नदियों में स्नान करना देव स्नान कहलाता है. वहीं, सूर्योदय और खाने पीने के बाद किया गया स्नान दानव स्नान कहलाता है, जिसे करने से हमें बचना चाहिए.
शास्त्रों के अनुसार कैसे करें स्नान
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें
शास्त्रों के अनुसार, सुबह ब्रह्म मुहूर्त यानी कि सूर्योदय से पहले नहाना सबसे शुभ और लाभकारी माना जाता है, ये शरीर को सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति देता है.
ठंडे पानी से नहाना
शास्त्रों के अनुसार, ठंडे पानी से नहाने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है और मन शांत रहता है. ज्यादा गर्म पानी का इस्तेमाल करने से ऊर्जा का नाश होता है.
नहाते समय करें मंत्रों का उच्चारन
स्नान के दौरान पवित्र मंत्रों का उच्चारण करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, आप “ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेऽस्मिन् संनिधिं कुरु” मंत्र का जाप कर सकते हैं.
दक्षिणावर्ती होकर करें स्नान
शास्त्रों के अनुसार, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके स्नान करना उचित माना जाता है. स्नान के तुरंत बाद साफ और पवित्र वस्त्र पहनना चाहिए, गंदे कपड़े पहनने से मन अशुद्ध होता है.