, नई दिल्ली। पूरा देश आज आजादी के जश्न में डूबा हुआ है। हर साल 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। यह दिन साल 1947 में अंग्रेजों की गुलामी से मिली आजादी की याद दिलाता है। साथ ही इस मौके पर आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले देश के वीर सपूतों के प्रति आभार व्यक्त करने का मौका देता है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश की आन-बान और शान राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है और इसी के साथ हर भारतीय गर्व से राष्ट्रगान गाता है। हम सभी ने बचपन में स्कूलों में रोजाना इसे गया होगा।हमारा राष्ट्रगान हमारी पहचान है, जो हमें भारतीय होने का एहसास दिलाता है और इस पर गर्व करने का मौका भी देता है।
यह तो हम सभी जानते हैं कि हमारे राष्ट्रगान को रविंद्र नाथ टैगोर ने लिखा था, लेकिन क्या आपको पता है कि उन्होंने सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कुछ अन्य देशों के लिए भी राष्ट्रगान लिखा था। ऐसे में आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हम आपको बताएंगे उन देशों के बारे में, जिनका राष्ट्रगान भी रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था।
बेहद खास है भारत का राष्ट्रगानभारतीय राष्ट्रगान के रचयिता रविंद्र नाथ टैगोर को संगीत साहित्यिक सम्राट भी कहा जाता है। उनकी रचनाएं, गीतों और विचारों को आज भी कई लोग पढ़ना पसंद करते हैं हमारा राष्ट्रगान उनकी बेहतरीन लिखावट का ही नमूना है। राष्ट्रगान की पंक्तियां की मदद से उन्होंने पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा समेत पूरे देश का बेहद खूबसूरत वर्णन किया है। हालांकि, सिर्फ भारत ही नहीं उनके लिखे गीत को अन्य देशों में भी बतौर राष्ट्रगान गाया जाता है।इन देशों के लिए लिखा राष्ट्रगानहम बात कर रहे हैं पड़ोसी देश श्रीलंका और बांग्लादेश की, जिनके राष्ट्रगान भी रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए हैं। उनके लिखे इन गानों को बांग्लादेश और श्रीलंका में इतना ज्यादा पसंद किया गया कि उन्होंने इसे अपना राष्ट्रगान बना लिया।
भारत का राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ और बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ टैगोर की ही लिखी रचना थी। वहीं, अगर बात करें श्रीलंका की तो इस देश के राष्ट्रगान ‘श्रीलंका मथा’ का एक हिस्सा रवींद्रनाथ टैगोर की कविता से लिया गया है। दरअसल श्रीलंका मथा को लिखने वाले आनंद समरकून शांतिनिकेतन में रविंद्र नाथ टैगोर के पास ही रहते थे।भारतीय राष्ट्रगान से जुड़ी बातेंबात करें अपने देश के राष्ट्रगान की, तो इसकी पंक्तियां रविंद्र नाथ टैगोर के गीत ‘भारतो भाग्यो विधाता’ से ली गई है।
52 सेकंड के राष्ट्रगान के दौरान कई नियमों का पालन किया जाता है, जिसमें से एक श्रोताओं का सावधान की मुद्रा में खड़े होना बेहद अहम है। रवींद्रनाथ टैगोर के लिखे इस गीत को पहली बार आबिद अली ने सन 1911 में हिंदी भाषा में अनुवादित किया था, जिसे 24 जनवरी 1950 को औपचारिक रूप से भारत के राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया। यानी कि 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा ने जन-मन-गण को भारत के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया था।