नई दिल्ली :– संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि भारत उन पांच देशों में शामिल है, जहां सबसे अधिक संख्या में लोग घोर गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में लगभग 1.1 अरब लोग घोर गरीबी का सामना कर रहे हैं, जिनमें से आधे नाबालिग हैं।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल द्वारा जारी बहु आयामी गरीबी सूचकांक में कहा गया है कि 1.1 अरब गरीबों में से 40 प्रतिशत लोग उन देशों में रह रहे हैं, जो युद्ध, अस्थिरता या कम शांति वाले हैं।
भारत में घोर गरीबी में जीवन बिताने वालों की संख्या 23.4 करोड़ है, जो मध्यम मानव विकास सूचकांक के तहत आता है। भारत के अलावा भी अन्य चार देश जिनमें उच्च संख्या में लोग गरीबी में जी रहे हैं। अगर इन चार देशों की बात करें, तो इसमें पाकिस्तान इथियोपिया नाइजीरिया और कांगो शामिल हैं। रिपोर्ट की माने तो, इन पांच देशों में दुनिया के घोर गरीबों का लगभग 48.1 प्रतिशत रह रहे हैं।
1.1 अरब गरीब लोगों में से आधे से ज्यादा की उम्र 18 साल से कम
रिपोर्ट से यह भी बात सामने आई है कि 1.1 अरब गरीबों में से लगभग 58.4 करोड़ लोग 18 वर्ष से कम उम्र के हैं। वैश्विक स्तर पर, बच्चों में गरीबी की दर 27.9 प्रतिशत है, जबकि वयस्कों में यह दर 13.5 प्रतिशत है। गरीबी में जीवन यापन करने वाले लोगों में से 82.8 करोड़ के पास स्वच्छता की सुविधाएं नहीं हैं, 88.6 करोड़ के पास आवास की कमी है, और 99.8 करोड़ के पास खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का अभाव है।
दक्षिण एशिया में 27.2 करोड़ गरीब ऐसे घरों में रहते हैं जहां कम से कम एक व्यक्ति कुपोषित है। वहीं, उप-सहारा अफ्रीका में यह संख्या 25.6 करोड़ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 83.7 प्रतिशत गरीब लोग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की दर 28.0 प्रतिशत है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह केवल 6.6 प्रतिशत है।
रिपोर्ट के अनुसार, 21.8 करोड़ गरीब लोग युद्ध प्रभावित देशों में रहते हैं, और लगभग 40 प्रतिशत यानी 45.5 करोड़ लोग ऐसे देशों में निवास करते हैं जो युद्ध, अस्थिरता या कम शांति के शिकार हैं। UNDP के प्रशासक अचिम स्टीनर ने बताया कि हाल के वर्षों में संघर्ष की स्थिति गंभीर हुई है, जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और जीवन में व्यापक व्यवधान उत्पन्न हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और ऑक्सफोर्ड 2010 से हर साल MPI जारी कर रहे हैं, जो स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर सहित दस संकेतकों पर आधारित है। इस वर्ष के इंडेक्स में दुनिया के 112 देशों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है, जिसमें 6.3 अरब लोग हैं। यह रिपोर्ट गरीबी कम करने की दिशा में वैश्विक स्तर पर चल रही प्रयासों के सामने एक गंभीर चुनौती पेश करती है।