भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार 47 आदिवासी सीटों में से 15 पर मतदान प्रतिशत के बढ़ने से राजनीतिक दलों की सांसें फूलने लगी हैं। भाजपा जहां इसे संजीवनी मान रही है तो कांग्रेस भी इसे अपने पक्ष का मान रही है। इन सीटों पर राजनीतिक दल और चुनाव आयोग दोनों ने ही मतदान प्रतिशत बढ़ाने के प्रयास किए थे।
आयोग ने अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित प्रत्येक विधानसभा सीट में कम मतदान वाले 50-50 मतदान केंद्र चिन्हित कर मतदान प्रतिशत बढ़ाने को जागरूकता अभियान चलाया था। इस बार विधानसभा चुनाव में सबसे कम मतदान जोबट में 54.04 प्रतिशत और बरघाट में सर्वाधिक 88.20 प्रतिशत मतदान हुआ।
यह आंकड़ा पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक रहा। 2018 के विधानसभा चुनाव में सबसे कम जोबट में 52.84 प्रतिशत तो सबसे अधिक 89.13 प्रतिशत मतदान अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीट सैलाना में हुआ था। 47 सीटों में कांग्रेस को 30, भाजपा के 16 और एक पर निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली थी।
2008, 2013 और 2018 के चुनावों में आदिवासियों ने बढ़-चढ़कर किया था मतदान
पिछले तीन विधानसभा चुनावों को देखें तो आदिवासियों ने बढ़-चढ़कर मतदान में भाग लिया। 2018 में 11 विधानसभा क्षेत्र तो ऐसे थे, जहां 80 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने मताधिकार का उपयोग किया। 2008 के विधानसभा चुनाव में जो मतदान प्रतिशत 69.78 था, वह 2013 में 72.13 और 2018 में 75.63 हो गया।
मतदाताओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है, इसलिए आयोग का प्रयास रहा कि इस बार 80 प्रतिशत से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करें। बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं को घर से मतदाता की सुविधा देने के साथ कुछ मतदान केंद्र पर यह अवसर भी दिया गया कि मतदाता मतदान के लिए अपना समय पूर्व से निर्धारित कर सकें। उधर, राजनीतिक दलों का भी प्रयास यही रहा कि मतदान का प्रतिशत बढ़े।
इस बार भाजपा कांग्रेस का ध्यान 47 आदिवासी सीटों पर
इस बार भाजपा और कांग्रेस का ध्यान 47 आदिवासी विधानसभा क्षेत्रों पर अधिक रहा। इन सीटों पर मतदान के रुझान को देखें तो 2008 में आदिवासी मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया था और पार्टी 29 सीटों पर चुनाव जीती थी। वहीं, 2013 में भी आदिवासियों ने भाजपा का साथ दिया और दो सीट की वृद्धि के साथ 31 सीटों पर पहुंच गई, लेकिन 2018 में आदिवासियों ने बढ़-चढ़कर मतदान में भाग लिया। 30 सीटों पर राज्य के औसत 74.22 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। इनमें से 11 सीटों पर तो 80 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने मतदान किया। कांग्रेस को 30 सीटों पर सफलता मिली थी, भाजपा को 16 और एक सीट पर निर्दलीय विधायक चुना गया था। 2023 के चुनाव में 19 सीटों पर 80 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है।