नई दिल्लीः रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने तत्काल प्रभाव से रेपो रेट 50 बेसिक प्वाइंट्स बढ़ाकर 5.4% कर दिया है। लगातार तीसरी बार रेपो रेट बढ़ाए जाने से लोन की ब्याज दरें और ईएमआई का महंगा होना तय है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि देश उच्च मुद्रास्फीति की समस्या से गुजर रहा है और वित्तीय बाजार भी अस्थिर रहे हैं। वैश्विक और घरेलू परिदृश्यों को देखते हुए मौद्रिक नीति समिति ने बेंचमार्क रेट में बढ़ोतरी का फैसला किया है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ” 2022-23 के लिए रियल जीडीपी विकास अनुमान 7.2% है, जिसमें तिमाही 1- 16.2%, तिमाही 2- 6.2%, तिमाही 3 -4.1% और तिमाही 4- 4% व्यापक रूप से संतुलित जोखिमों के साथ होगा। 2023-24 के पहले तिमाही में रियल जीडीपी वृद्धि 6.7% अनुमानित है। इसके साथ ही 2022-23 में मुद्रास्फीति 6.7% रहने का अनुमान है। 2023-24 के पहले तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5% अनुमानित है। भारतीय अर्थव्यवस्था स्वाभाविक रूप से वैश्विक आर्थिक स्थिति से प्रभावित हुई है। हम उच्च मुद्रास्फीति की समस्या से जूझ रहे हैं। हमने वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान 3 अगस्त तक 13.3 अरब अमेरिकी डॉलर के बड़े पोर्टफोलियो का प्रवाह देखा है।”
आरबीआई मई से अब तक पिछले चार महीनों में रेपो रेट में 1.4% की बढ़ोतरी कर चुका है। रेपो रेट में यह लगातार तीसरी बढ़ोतरी है। रेपो रेट में आज की बढ़ोतरी के बाद यह कोरोना महामारी के पूर्व स्तर पर पहुंच गया है।