हम जब भी बाजार से कुछ खरीदते हैं तो दुकानदार से रसीद जरूर मांगते हैं, ताकि हमारे पास प्रूफ रहे कि हमने जो सामान लिया हो वो इसी दुकान से लिया है. लेकिन क्या हमारे पूर्वज भी ऐसा करते थे. चलिए आज आपको बताते हैं कि 15वीं शताब्दी में जब लोग सामान खरीदते थे, तो उन्हें किस तरह की रसीद दी जाती थी.
15वीं शताब्दी की रसीदहाल ही में तुर्किए में कुछ पुरातत्वविदों को एक बेहद पुश्तैनी वस्तु मिली. ये वस्तु 15वीं शताब्दी की है. जब पुरातत्वविदों ने इसकी जांच की तो उन्हें पता चला कि ये एक रसीद है. इसे वहां की भाषा में अक्कादियन क्यूनिफॉर्म पट्टिका कहते हैं. पुरातत्वविदों को ये रसीद तुर्किए के अचना होयुक में मिली है.
कैसी दिखती है ये रसीदआज कल की रसीद कागज की होती है. जब कंप्यूटर नहीं था, तब लोग कागज पर पेन से लिख कर उस पर अपना साइन कर देते थे. इसके बाद लेटर हेड वाली रसीद आई. लेकिन अब की रसीद एक पतले से पेपर पर प्रिंट हो कर आती है. हालांकि, 15वीं शताब्दी की रसीद ऐसी नहीं हुआ करती थी. 15वीं शताब्दी की रसीद एक मिट्टी से बनी छोटी-सी टैबलेट जैसी दिखाई देती है. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर इस रसीद पर लिखा क्या है.क्या लिखा है 15वीं शताब्दी की रसीद पर15वीं शताब्दी की रसीद पर हजारों साल पहले खरीदी गई कुर्सी, मेज और स्टूल की जानकारी लिखी गई है. ये रसीद बेहद खास है
. लंदन के ब्रिटिश संग्रहालय ने जब इसकी जांच की तो बताया कि इस पर जिस भाषा में लिखा गया है वो क्यूनिफॉर्म लिपि है. ये आम वर्णमाला से अलग होती है. संग्रहालय की वेबसाइट पर आप इसके बारे में पढ़ सकते हैं. यहां साफ लिखा है कि इसमें कोई अक्षर नहीं हैं. इसमें 600 से 1,000 चरित्रों को अंकित किया गया है और इसी से शब्द को बनाया गया है.तुर्किए की सरकार ने इसके बारे में क्या कहातुर्किए गणराज्य के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री के मुताबिक, इस रसीद का माप 4.2 से 3.5 सेंटीमीटर है. वहीं इसकी मोटाई लगभग 1.6 सेंटीमीटर है
. तुर्किए के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री मेहमत नूरी एर्सोय ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए इस ऐतिहासिक खोज के बारे में दुनिया को बताया.उन्होंने लिखा कि हमारा मानना है कि 28 ग्राम वजन वाली यह रसीद कांस्य युग के अंत की आर्थिक संरचना और राज्य प्रणाली को समझने के लिए एक नई संभावना पैदा करेगी. उन्होंने आगे कहा कि भाषा के विशेषज्ञ यह पता लगाने कि कोशिश कर रहे हैं कि इसमें कितने फर्नीचर खरीदे गए. साथ ही यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इन वस्तुओं को किसने खरीदा था.