नई दिल्ली:- खंडवा में कलेक्ट्रेट में हुई जनसुनवाई में अनोखा मामला सामने आया. किसान से मजदूर बना मौजीलाल एक बार फिर से यहां पहुंचा और कलेक्टर के सामने खड़े होकर कहा कि पिछली बार आपने कपड़े दिए थे, ये वापस ले लीजिए. क्योंकि मेरी समस्या का निराकरण नहीं हुआ. पत्नी और बच्चे भी ताने दे रहे हैं. कलेक्टर ने तत्काल अफसरों से बात की और मौजीलाल को 7 दिन का आश्वासन दिया. 2007 से आश्वासनों के भरोसे पर टिका मौजीलाल फिर घर लौट गया.
खंडवा कलेक्ट्रेट में आवेदकों की लंबी लाइन लगी थी. इसी लाइन में मौजूद मौजीलाल 16 साल से कलेक्ट्रेट के चक्कर लगा रहा था. पिछली बार 9 जनवरी 2024 को जब जनसुनवाई में आया था तो कलेक्टर अनूप कुमार सिंह ने कपड़े दिलवाए थे और नहर के रिसाव से खराब हो रहे खेत के दलदल से निजात का भरोसा दिलाया था लेकिन, एक महीना बीत जाने के बाद भी हल नहीं निकला तो मौजीलाल ये कपड़े लौटाने आ गया.
खंडवा जिले के पुनासा क्षेत्र के हंत्या में मौजीलाल की जमीन है. सिस्टम की वजह से मौजीलाल, मुसद्दीलाल बन गया है. मौजीलाल को बीते 5 साल में दो कलेक्टर कपड़े दिला चुके हैं. उसने कहा कि बीवी बच्चे बोलते हैं कि बार-बार कपड़े ले आते हो, समस्या का हल कब लाओगे?
मौजीलाल की समस्या सुनकर कलेक्टर अनूप कुमार सिंह ने कहा, ‘मौजीलाल की जमीन को समतल कर खेती लायक बनाएंगे. इसके लिए जो टीम गठित की गई थी, उससे जानकारी ली है. जल्द ही समस्या का निराकरण करा दिया जाएगा.
ये है मौजीलाल का मामला: हंत्या में रहने वाले मौजीलाल काा ग्राम रिछफल में मौजीलाल की 3 एकड़ जमीन है. 2007 से उसका खेत दलदल में बदल रहा, क्योंकि पास से नहर से सीपेज हो रहा है. मौजीलाल रबी और खरीफ की फसल नहीं ले पा रहा है. आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ने से वह किसान से मजदूर बनने को मजबूर हो गया है.