भाटापारा: निगरानी बढ़ाएं। जरूरी कीटनाशक का छिड़काव मानक मात्रा में करें क्योंकि धान की फसल में “पेनिकल माईट” नामक कीट प्रवेश कर चुका है। इसकी वजह से बदरा की शिकायत आ रही है।
कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि अधिकारियों ने यह एडवाइजरी ऐसे समय में जारी की है जब बदरा और बदरंग दानों की शिकायतों का आना चालू ही हुआ है। नियंत्रण के लिए समय है, इसलिए इस बेहद खतरनाक कीट से फसलों को बचाने की सलाह जारी हुई है। एडवाइजरी में कहा गया है कि बालियों में बदरा के लक्षण की पहचान बेहद आसान है। सतत निगरानी से इस कीट के बढ़ते परिवार को रोका जा सकता है। मालूम हो कि “बदरा” जैसी बीमारी में बालियां तो लगती हैं लेकिन उनमें दाने नहीं बनते। यह सीधे-सीधे उत्पादन पर प्रतिकूल असर डालता है।
जानें “पेनिकल माईट” को
पेनिकल माईट ऐसा कीट है जो पोषक तत्वों को चूसता है। इससे बालियों में दाने नहीं बनते। 1913 में इसे पहली बार पहचाना गया। रिसर्च में पाया गया कि यह शुष्क भूमि में तेजी से फैलता है। पिरीकुलेरिया ग्रीस्या माईसीलियम के नाम से वैज्ञानिकों के बीच पहचाना जाने वाला यह कीट अनुकूल मौसम में तेजी से फैलता है। बदरा रोगजनक यह कीट 1 से 2 साल तक जीवित रहता है। पैरा या पैरा खाद के जरिए या खेतों तक पहुंचता है।
ऐसे पहचानें
पेनिकल माईट के प्रवेश की सबसे सरल पहचान यह है कि प्रवेश के बाद यह पत्तियों पर पहले हमला करता है। इससे पत्तियों पर आंख जैसा छोटा धब्बा दिखाई देता है। इसके भीतर का भाग भूरा और बाहर का भाग गहरा भूरा होता है। आगे चलकर यह सभी धब्बे मिलकर एक बड़ा धब्बा बना लेते हैं। इसके बाद पौधे पीले होने लगते हैं और असर सीधे उस पोषक तत्व पर डालते हैं जिनकी मदद से बालियों में दाने बनते हैं।
यह भी हैं संकेत
पत्तियों के बाद इसका हमला गांठ और बालियों पर होता है। गांठ पर हमले का संकेत, उसके टूटने या धब्बे से मिलता है। बालियों पर यह कीट, निशाना उस समय साधता है, जब पुष्पगुच्छ लगने की अवस्था होती है। इसका संकेत पुष्प के सफेद होने और उसके तने में कालापन से मिलता है। इस अवस्था में बालियां तो लगती है लेकिन दाने नहीं बनते क्योंकि यह कीट, दाने के लिए जरूरी पोषक तत्व चूस लेता है। जिसे बाद में बदरा के नाम से पहचाना जाता है।
यह हैं उपाय
जारी एडवाइजरी के अनुसार ट्राईसाइक्लाजोल या प्रोपीकोनाजोल का छिड़काव किया जा सकता है। यह दवाइयां नहीं मिलने की स्थिति में कृषि विभाग ने इथियॉन या साइपरमेथ्रीन का छिड़काव करने की सलाह दी है। इन दवाओं के उपयोग में मानक मात्रा का ध्यान रखना बेहद जरूरी माना गया है। इसके अलावा छिड़काव के बाद निगरानी जारी रखने की सलाह भी दी गई है।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के साइंटिस्ट डॉ संदीप भंडारकर का कहना है कि पेनिकल माईट ऐसा कीट है, जो बालियों तक जाने वाले पोषक तत्व को चूसता है। इसकी वजह से ही बालियों में दाने नहीं बनते। इसलिए ही बदरा की शिकायत आती है। समय रहते जरूरी कीटनाशक का छिड़काव करें, ताकि उत्पादन पर प्रतिकूल असर ना पड़े.