: कोविड के बाद आर्थिक रूप से पिछड़े माने जाने वाले ‘हिंदी भाषी राज्य’ ‘मजबूती’ दिखा रहे हैं. उत्तर प्रदेश (यूपी) में 4 साल में शेयर निवेशकों में करीब साढ़े चार गुना वृद्धि हुई. म्यूचुअल फंड में भी निवेश करीब तीन गुना बढ़ा. मध्य प्रदेश (एमपी), राजस्थान और बिहार में भी यही ट्रेंड लगभग एक जैसा है.एमपी में शेयरों में निवेश करने वालों में 4.75 गुना, म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों में 3 गुना वृद्धि हुई. आभूषणों की खरीदारी में भी 55 फीसदी की वृद्धि हुई. शेयर निवेशकों की संख्या के मामले में कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली और आंध्र प्रदेश को पीछे छोड़कर राजस्थान चौथे स्थान पर पहुंच गया है.
बिहार में शेयर बाजार के निवेशक 4 गुना बढ़ेइन चार सालों में बिहार में शेयर निवेशक 4 गुना बढ़े, म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों में 3 गुना वृद्धि हुई और सोने की खरीदारी में 89 फीसदी की वृद्धि हुई, जो अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है. हालांकि, यह वृद्धि इसलिए भी चौंकाने वाली है, क्योंकि इन राज्यों में लोगों की औसत आय निवेश के अनुपात में कम बढ़ी है. इन राज्यों में चार साल में आय 50% से बढ़कर 70% हो गई.बिहार में शेयर निवेशकों की संख्या सबसे तेजी से बढ़ीफिलहाल देश में म्यूचुअल फंड में कुल निवेश 64.68 लाख करोड़ रुपये है. चार साल में एमपी में इस फंड में निवेश 203% और यूपी में 190% बढ़ा है.
बिहार में 4 साल में सबसे ज्यादा सोने के आभूषणों की खरीद बढ़ी.दक्षिणी राज्य भी पिछड़े. शेयर बाजार में निवेशकों की संख्या के आधार पर यूपी ने गुजरात को पीछे छोड़कर दूसरा स्थान हासिल कर लिया है. पिछड़े राज्यों में गिने जाने वाले बिहार टॉप-11 में आ गया है.उत्तर भारतीय ज्यादा जोखिम ले रहे, एफडी का पैसा बाजार मेंशेयर बाजार में बड़ी मात्रा में फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) का पैसा आया है. उत्तर भारतीय शहरों में ऐसा ज्यादा हुआ. वे ज्यादा जोखिम ले रहे हैं. दक्षिण भारतीय राज्य शेयर बाजार जैसे जोखिम भरे एसेट क्लास से बचते रहे हैं. इसलिए 4 साल में निवेशकों की संख्या और निवेश राशि में कोई अप्रत्याशित वृद्धि नहीं हुई