नई दिल्ली:- प्रभाव दिखा रही है. इसके लिए विशेषतौर पर जीवनशैली का हिस्सा माने जाने वाले आहार तथा व्यायाम सहित अन्य फैक्टर्स से जुड़ी असंतुलित आदतों को जिम्मेदार माना जा रहा है.
क्या होता है कोलेस्ट्रॉल
दरअसल, कोलेस्ट्रॉल एक फैट जैसा पदार्थ होता है जो हमारे शरीर की लगभग सभी कोशिकाओं में पाया जाता है. यह शरीर में पाए जाने वाले प्रोटीन का एक टाइप होता है. दरअसल हमारे शरीर में दो प्रकार के कोलेस्ट्रॉल पाए जाते हैं. पहला एलडीएल यानी लो डेंसिटी लिपॉप्रोटीन और दूसरा एचडीएल यानी हाई डेंसिटी लिपॉप्रोटीन. इनमें LDA को बैड कोलेस्ट्रॉल और एचडीएल को गुड कोलेस्ट्रॉल के रूप में जाना जाता है. ज्यादा फैटी फूड खाने से, शारीरिक स्वास्थ्य की वजह से या तनाव जैसी समस्याओं के कारण भी शरीर में एलडीएल का स्तर बढ़ सकता है.
बता दें, जैसे-जैसे शरीर में एलडीएल का स्तर बढ़ता है, एचडीएल का स्तर कम होने लगता है. ऐसी स्थिति में हमारी रक्त वाहिकाओं और धमनियों में वसा जमा होने लगती है, जिससे शरीर की ब्लड सर्कुलेशन प्रोसेस बाधित होने लगती है. नतीजतन हार्ट , मस्तिष्क तथा शरीर के कई अंगों में रोग या समस्या उत्पन्न होने का खतरा बढ़ जाता है. बेंगलुरु के फिजीशियन डॉ आर. रामचंद्रन बताते हैं कि शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना जिसे हाई कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है, एक लाइफ स्टाइल डिजीज मानी जा सकती
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण क्या है?
बेंगलुरु के फिजीशियन डॉ आर. रामचंद्रन के मुताबिक, वैसे तो कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कोई लक्षण नहीं होते है, ब्लकी यह अन्य दूसरी बीमारियों के लिए रिस्क फैक्टर्स होता है. फिर भी शरीरिक स्थिति में कुछ बदलाव कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की ओर संकेत कर सकते है.
लगातार आपका वजन का बढ़ना हाई कोलेस्ट्रॉल का लक्षण हो सकता है.
पैरों में लगातार तेज दर्द रहना
बिना किसी कारण के पैरों और हाथों में दर्द होना हाई कॉलेस्ट्रॉल का लक्षण हो सकता है.
पसीना आना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन यदि अधिक मात्रा और बेमौसम को पसीना आना बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल का लक्षण हो
अगर आपके शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल का लेवल है तो आपके स्किन के कलर में बदल सकता है.
सीने में तेज दर्द होना भी हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण में शामिल है.
कई बार आपके पैरों, जांघों, कूल्हों और पंजों पर तेज ऐंठन महसूस हो सकती है, यह भी हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण हो सकते हैं.
वे अच्छी आदतें जो शरीर में एलडीएल के लेवल को बढ़ने से रोक सकती हैं, इस प्रकार हैं.
ओबेसिटी से बचे और आहार का ध्यान रखें
सक्रिय रहे व्यायाम करें
धूम्रपान या नशे से परहेज करें
अन्य समस्याओं को लेकर रहे जागरूक
तनाव से बचें
सिर्फ चिकित्सक की सलाह मानें