** रीवा/गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय में आत्महत्या रोकथाम जागरूकता सप्ताह के दौरान आत्महत्या रोकथाम हेतु कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में सह प्राध्यापक डॉ रुचि सोनी ने उपस्थित विशिष्ट अतिथियों,चिकित्सा शिक्षकों, कर्मचारियों एवं छात्रों का स्वागत किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अधिष्ठाता डॉ कविता एन सिंह ने आत्महत्या को रोकने के लिए संवाद के महत्व पर बल दिया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि हम अपने परिवार व दोस्तों से निरन्तर जुड़े रहकर आत्महत्या जैसे नकारात्मक विचार को स्वयं से दूर रख सकते हैं। कार्यक्रम में आत्महत्या रोकथाम विषय पर पोस्टर एवं स्लोगन कम्पटीशन के विजेता छात्रों को पुरस्कार दिया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि विख्यात मनोचिकित्सक डॉ आर एन साहू ने आत्महत्या के कारणों एवं रोकथाम के उपायों पर विस्तार से चर्चा की। डॉ. साहू ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर जागरूकता लाते हुए संवाद कौशलों को बेहतर बना कर आत्महत्या को रोका जा सकता है। आत्महत्या के रोकथाम की ज़िम्मेवारी केवल मानसिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की ही नहीं हैं बल्कि अन्य महत्वपूर्ण विभाग जैसे स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा,युवा मामलों,महिला एवं बाल विकास,सामाजिक न्याय,गृह विभाग और अन्य विभागों की भी ज़िम्मेदारी है. डॉ साहू ने बताया कि हर स्तर पर सकारात्मक संवाद बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि “बात करने से ही बनेगी बात”. वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक राहुल शर्मा ने आत्महत्या के मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर चर्चा की। महाविद्यालय के मानसिक रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जे पी अग्रवाल ने आत्महत्या के विषय मे सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया। टेलीमानस हेल्पलाइन न.14416 जिसका उपयोग कर सहायता प्राप्त की जा सकती है एवं एंड्रॉइड एप्प मनहित जिससे स्वमूल्यांकन किया जा सकता है, के बारे में जानकारी दी । सहायक प्राध्यापक डॉ समीक्षा साहू ने आत्महत्या रोकथाम हेतु आत्महत्या करने वाले व्यक्ति की बातों एवम व्यवहार से वार्निंग साइन पहचानने के तरीके बताए जिससे ऐसे व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें आत्महत्या करने से रोका जा सके। उन्होंने आत्महत्या रोकथाम हेतु टूलकिट की जानकारी दी।