नई दिल्ली: – बजट सत्र के चौथे दिन आज सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा में महाकुंभ भगदड़ में हुए मौतों के आंकड़ों को लेकर सरकार पर निशाना साधा। संसद में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं सबसे पहले आपका अभिनंदन करते हुए आग्रह करना चाहूंगा कि मुझे बोलने के लिए जो समय दिया है, उसमें से दो मिनट का समय महाकुंभ हादसे में शिकार लोगों की आत्मा की शांति के लिए खड़े होकर मौन रखना चाहूंगा। अगर किसी और को भी सच्चे मन से मृतकों के प्रति सच्चा भाव है तो वो भी हमारे सांसदों के साथ खड़ा होकर श्रद्धांजलि दे सकता है। हालांकि इसको लेकर स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें टोका।
अखिलेश ने आरोप लगाया कि इस सरकार ने पावन मुहूर्त के स्नान पर अपने मनमाने समय पर स्नान कराने का आदेश दिया। बात उस दिन अतिथि की नहीं होती है, बल्कि निश्चित मुहूर्त काल की होती है। ये सनातन परंपरा तोड़कर इन्होंने अच्छा नहीं किया। मुझसे बेहतर सामने ज्यादा जानते होंगे। जो हमने देखा वहां लोग पुण्य कमाने आए थे, अपनों के शव लेकर गए हैं।
साक्ष्य छिपाना भी अपराध है- अखिलेश यादव
अखिलेश यादव ने लोकसभा स्पीकर से कहा कि हमारा आपसे अनुरोध है, जहां सरकार बजट के आंकड़े दे रही है, जब अभिभाषण पढ़ा है, सरकार ने बहुत आंकड़े दिए हैं, आंकड़े देने से पहले महाकुंभ में मरने वालों के आंकड़े भी दे देंगे। महाकुंभ की व्यवस्था के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए मेरी मांग है कि सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए। महाकुंभ आपदा प्रबंधन, खोया-पाया केंद्र की जिम्मेदारी केंद्र को दी जाए। घायलों का इलाज, दवा-डॉक्टर, भोजन पानी का आंकड़ा संसद में पेश किया जाए। महाकुंभ हादसे के जिम्मेदार लोगों पर घोर दंडात्मक कार्रवाई की हो। जिन्होंने सच छिपाया है, उन्हें दंडित किया जाए। हम डबल इंजन की सरकार से पूछता हूं कि अगर अपराध बोध नहीं था तो आंकड़े दबाए, छिपाए और मिटाए क्यों गए हैं। साक्ष्य छिपाना भी अपराध है।
मरने वालों की सूची नहीं दे रही सरकार
अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि एक तरफ तो ये लोग डिजिटल-डिजिटल कहते थकते नहीं हैं, लेकिन जब ये हादसा हो गया तो ये सरकार डिजिट नहीं दे पा रही है। हमारे अपने लोग मारे गए हैं। परिवार का हर रिश्ता दिबंगत हुआ है. आंकड़े तो अबतक नदारद हैं। जो खोया पाया केंद्र था, उसको भी लोग ढूंढ नहीं पा रहे हैं।
योगी सरकार ने तोड़ी सनातन परंपरा- सपा प्रमुख
अखिलेश ने कहा कि सतयुग से लेकर कलयुग तक ये सनातन परंपरा रही है कि संत-महात्मा मुहूर्त के हिसाब से शाही स्नान करते हैं, उसमें नक्षत्रों के हिसाब से जो संयोग बनता है, वही शाही स्नान का मुहूर्त होता है। लेकिन भाजपा के सरकार में ये परंपरा टूट गई। पहले सरकार ने संत समाज को शाही स्नान को रद्द करने का आदेश दिया। जब देश में ये सवाल उठाई गई तो उन्होंने हादसे को छिपाकर फिर आदेश दिया कि संत समाज के लोग शाही स्नान करने जाएं।