वरिष्ठ संपादक:- अनिल द्विवेदी
रायपुर:- राजधानी सहित पूरे छत्तीसगढ़ में नकली पनीर का कारोबार धड़ल्ले से जोरों पर जारी है. उपभोक्ता इन्हें लेकर खाने को मजबूर है क्योंकि उसका विश्वास उठ चुका है. नकली पनीर का कारोबार प्रतिदिन 7 से 8 टन का है जबकि त्यौहारों के मौसम में यह 40 टन तक हो जाता है. इस खबर के अंत में जानिए कि नकली पनीर की पहचान कैसे करें!
बहरहाल राजधानी रायपुर में करीबन 2000 दुकानों में पनीर की खपत होती है. लोग इनका इस्तेमाल दुकानों में जहां मिठाईयां बनाने में करते हैं, वहीं आम आदमी घरेलू इस्तेमाल के लिए पनीर खरीदता है जोकि 300 रूपये किलो तक मिलता है. पनीर जल्दी तैयार करने के लिए तथा अधिक से अधिक उत्पादन के लिये इसमें खासी मिलावट की जाती है. मिलावट का बड़ा मार्केट मुरैना, ग्वालियर, धौलपुर, भोपाल माना जाता है जहां तैयार नकली पनीर छत्तीसगढ़ में खपाया जाता है. हालांकि कई दुकानों में पनीर लेने के बाद लैब रिपोर्ट अवश्य ली जा रही है ताकि नकली पनीर बेचने से बच सकें लेकिन अधिकतर बड़ी दुकानों में पनीर नकली ही मिल रहा है जबकि खाद्य विभाग इसीलिए चुप्पी साधे है क्योंकि उसे ग्राहक की तरफ से कोई शिकायत नही मिलती.
हालांकि खादय विभाग का तर्क सिर्फ अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने जैसा है क्योंकि उसका कर्तव्य है कि वह खुद जाकर पनीर की जांच करे और नकली पनीर विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई करे. त्यौहारों के मौसम में अभियान चलाकर नकली पनीर और खोवा पकडा जाता है लेकिन उसके बाद इतिश्री कर ली जाती है.