भारत में अधिकांश राज्यों में पुलिस की वर्दी का रंग खाकी होता है. खासतौर से उत्तर भारतीय राज्यों में लोग खाकी रंग देखते ही समझ जाते हैं कि ये व्यक्ति पुलिस विभाग में कार्यरत है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर खाकी रंग का ही चुनाव क्यों किया गया? चलिए आपको आज इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
पहले खाकी वर्दी का इतिहास समझिएभारत में खाकी वर्दी का चलन आज से नहीं है, बल्कि ये ब्रिटिश काल से ही है. दरअसल, पहले ब्रिटिश सेना में गहरे रंगों की वर्दी होती थी, खासकर लाल और नीले रंग की. लेकिन भारत की उष्णकटिबंधीय जलवायु, खासतौर से गर्म और धूल भरे क्षेत्रों में, गहरे रंग की वर्दी ठीक नहीं थी.
इसके बाद 1861 में जब भारतीय पुलिस अधिनियम लागू हुआ तो, ब्रिटिश प्रशासन ने भारत में पुलिस बलों का गठन किया. इसके बाद पुलिस बलों के लिए एक समान वर्दी की आवश्यकता थी, जो देश की कठिन भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों में उपयुक्त हो. इसी के बाद खाकी रंग का चुनाव किया गया. इसके बाद Sir Harry Lumsden ने 1847 में खाकी रंग को पुलिस और सेना की वर्दी के लिए चुना.
?खाकी रंग ही क्यों चुना गयादरअसल, खाकी रंग धूल, मिट्टी और अन्य प्राकृतिक तत्वों के साथ आसानी से मेल खाता है, जिससे यह गंदा होने के बाद भी साफ-सुथरा दिखता है. इसके अलावा गहरे रंगों की तुलना में खाकी कम दिखता है, जिससे पुलिस को कार्रवाई के दौरान छिपने और बचने में मदद मिलती है. वहीं युद्ध और संघर्ष की स्थिति में भी खाकी रंग को बेहतर माना गया, क्योंकि यह सैनिकों और पुलिस कर्मियों को उस समय के वातावरण में आसानी से घुलने-मिलने में मदद करता है.
इसके पीछे मनोवैज्ञानिक कारण भी हैआपको बता दें, खाकी रंग मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. दरअसल, यह एक शांत और संयमित रंग माना जाता है, जो पुलिस बलों के पेशेवर और अनुशासनात्मक स्वरूप को दिखाता है. खाकी रंग के कारण, पुलिस अधिकारी न तो बहुत आक्रामक दिखते हैं और न ही बहुत नरम, जिससे वे नागरिकों के बीच भरोसे और सम्मान का प्रतीक बन जाते हैं.