नई दिल्ली:– उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित भू-बैकुंठ बदरीनाथ धाम के कपाट आज यानी 17 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। कपाट बंद होने से पहले बड़ी संख्या में भक्त आज बदरीनाथ धाम पहुंचे हैं। आज ब्रह्म मुहूर्त में तड़के चार बजे मंदिर भक्तों के लिए खुले हैं । वहीं आज रोजाना की तरह 4।30 बजे भगवान बदरी-विशाल का अभिषेक और पूजा हुई। आज रात में 9 बजकर 7 मिनट पर भगवान बदरी-विशाल मंदिर के कपाट अगले 6 महीने के लिए बंद हो जाएंगे।
ऐसे में आज बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आज ब्रह्म मुहूर्त में बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलेंगे। पूरे दिन भक्त भगवान बदरी-विशाल के दर्शन हो रहे हैं। वहीं आज शाम को 6।45 बजे भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद होने की प्रक्रिया भी शुरू होगी
जानकारी दें कि, बीते रविवार को भाई दूज के अवसर पर केदारनाथ और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट वैदिक अनुष्ठानों के बीच बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों, मंदिर समिति और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।
वहीं दोनों मंदिरों के कपाट बंद होने के बाद केदारनाथ में भगवान शिव और यमुनोत्री की अधिष्ठात्री देवी यमुना की मूर्तियां पालकियों में सवार करके इनके शीतकालीन निवास उखीमठ और खरसाली भेजी गईं। इस हिमालयी मंदिर के कपाट बंद होने का समारोह देखने के लिए 18,000 से अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ पहुंचे थे ।
तब बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) के मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ ने बताया था कि मंदिर के कपाट बंद होने से पहले तड़के 4बजे एक भव्य समारोह शुरू हुआ था । वहीं BKTC के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया था कि यात्रा सीजन के दौरान 16।5 लाख से अधिक तीर्थयात्री पूजा-अर्चना के लिए केदारनाथ पहुंचे थे। गढ़वाल हिमालय में 11,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह हर साल लाखों तीर्थयात्रियों के लिए एक लोकप्रिय तीर्थस्थल होता है। मंदिर सर्दी के दौरान बर्फ गिरने के कारण बंद रहता है।
वहीं आज तय समय पर रात 9:07 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट इस शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। वहीं सोमवार 18 नवंबर सुबह को योग बदरी पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेंगे। दरअसल मान्यता है कि भगवान बदरीनाथ को छह महीने देवता और छह महीने इंसान पूजते हैं। वहीं तब देवर्षि नारद देवताओं के प्रतिनिधि के तौर पर भगवान बदरी विशाल की पूजा करते हैं। हालांकि धाम के कपाट बंद होने के बाद भी अखंड ज्योति अक्षत जली रहती है।