देश का बजट पेश होने महज कुछ ही दिन बचे हैं. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का अंतरिम बजट पेश करेंगी. ये मौजूदा मोदी सरकार का भी आखिरी बजट होगा. यही वजह है कि इस बजट से लोगों को काफी उम्मीदें. सैलरीड क्लास से लेकर मिडिल और लोअर क्लास के सभी लोगों को वित्त मंत्री से अलग-अलग उम्मीदें हैं. जहां कयास लगाए जा रहे हैं कि वित्त मंत्री बजट से सैलरीड क्लास वालों को मोह सकती हैं, वहीं ये बजट आपके घर में काम करने वाली या वालों के लिए भी बहुत खास रह सकता हैं.
इस अंतरिम बजट में वो घरों में काम करने वाले डोमेस्टिक हेल्परों के लिए खास ऐलान कर सकती हैं.इनको मिल सकता है फायदाइस वित्तीय वर्ष में उच्च मुद्रास्फीति को देखते हुए सीतारमण अर्थव्यवस्था के निचले पायदान पर मौजूद लोगों को कुछ लाभ दे सकती हैं. ये संभवतः ग्रामीण लोग होंगे क्योंकि वे मुद्रास्फीति के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में कम मांग से पीड़ित हैं. हालांकि, एक अन्य श्रेणी जिसे बजट से फायदा मिल सकता है वह शहरी गरीब है, न केवल उन्हें उच्च मुद्रास्फीति से राहत प्रदान करने के लिए बल्कि एक नए वोटिंग ब्लॉक को मजबूत करने के लिए भी वित्त मंत्री अपना पिटारा खोल सकती हैं
घरेलू वर्कर के लिए योजनाबजट लाखों घरेलू कामगारों को कुछ प्रकार की सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर सकता है. ईटी ने हाल ही में रिपोर्ट दी है कि यह सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के तहत परिकल्पित सार्वभौमिक कल्याण भुगतान की दिशा में एक कदम हो सकता है, जिसे अभी तक लागू नहीं किया गया है.इनपर हो रहा विचारजिन कुछ लाभों पर विचार किया जा रहा है उनमें न्यूनतम वेतन, पेंशन, चिकित्सा बीमा, मातृत्व लाभ और भविष्य निधि शामिल हैं.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ईटी को बताया, कि वो सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं लेकिन अंतिम फैसला भारत में घरेलू कामगारों की सही संख्या मिलने के बाद किया जाएगा.वेतनभोगी में शामिल हो सकती हैंसामाजिक सुरक्षा संहिता में घरेलू कर्मचारियों को ‘वेतनभोगी’ श्रेणी के अंतर्गत शामिल किया गया है. इसका तात्पर्य यह है कि कोड लागू होने के बाद घरेलू कामगार मजदूरी-संबंधित लाभ या सरकार द्वारा परिभाषित मजदूरी के हकदार होंगे. प्रस्तावित योजना लाभ, योगदान की दर और कुल लाभार्थी, नियोक्ता और सरकार की हिस्सेदारी का विवरण देगी.ईटी ने बताया है कि श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत श्रम ब्यूरो ने अखिल भारतीय घरेलू कामगारों का सर्वेक्षण किया है और इसे अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है.
सरकार प्रस्तावित सामाजिक सुरक्षा लाभों की रूपरेखा पर पहुंचने से पहले डेटा और कार्य प्रोफ़ाइल की जांच करने के बाद लागत निहितार्थ पर काम करेगी.उच्च मुद्रास्फीति और कमजोर मांग के कारण ग्रामीण भारत काफी समय से आर्थिक चिंता का विषय रहा है. प्रमुख कृषि राज्यों में वर्षा की कमी ने वित्तीय वर्ष की पहली दो तिमाहियों में देखी गई ग्रामीण मांग के पुनरुद्धार को बाधित कर दिया है. नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के कार्यकारी निदेशक अबनीश रॉय ने कहा कि एनआरईजीएस की मांग के साथ-साथ उच्च ग्रामीण बेरोजगारी, ग्रामीण तनाव को दर्शाती है. अल नीनो ने वित्त वर्ष 24 की शुरुआत में देखी गई शुरुआती ग्रीन शूट को पटरी से उतार दिया.