देश का बजट आने में महज कुछ ही दिन बचे हैं. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का बजट पेश करेंगी. बजट से पहले हमेशा आर्थिक सर्वेक्षण आता है. लेकिन ज्यादातर लोगों को आर्थिक सर्वेक्षण यानी Economic Survey समझ नहीं आता है. यही वजह है कि आम जनता आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट को समझने की बजाए इग्नोर ही कर देती है. लेकिन यही वो पैमाना है जिससे सरकार महंगाई तय करती है.
1 फरवरी को देश का बजट पेश होगा, इस हिसाब से 31 जनवरी को देश का इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाएगा.वित्त मंत्रालय ने लोगों को इकोनॉमिक सर्वे समझाने का नायाब तरीका निकाला है जिसकी मदद से कोई भी आम नागरिक इसे समझ सकता है. सरकार इसे थालीनॉमिक्स के जरिए लोगों को जरिए समझाती है. अब सोचेंगे आखिर ये थालीनॉमिक्स क्या है… तो आइए आपको बताते हैं थालीनॉमिक्स और सरकार इससे महंगाई कैसे तय करती है, ये भी बताते हैं…क्या है थालीनॉमिक्स?
थालीनॉमिक्स एक तरीका है जिसके जरिए भारत में फूड अफोर्डेबिलिटी का पता चलता है. यानी एक प्लेट खाने के लिए एक भारतीय को कितना खर्च करना पड़ता है, इसका पता थालीनॉमिक्स से चलता है. आपको बता दें भोजन सभी की एक बुनियादी जरूरत है. खाने पीने का असर डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तरीके से आम जनता पर पड़ता है. थालीनॉमिक्स एक सामान्य व्यक्ति द्वारा एक थाली के लिए किए जानेवाले भुगतान को मापने की कोशिश है. इससे तय होता है की देश में महंगाई किस स्तर पर है.कैसे तय होते हैं थाली के दाम?इकोनॉमिक सर्वे में वेज और नॉन वेज थाली की कीमतों के बारे में जानकारी दी जाती है.
कौन सी थाली महंगी हुई है और कौन सी थाली सस्ती. भारत में भोजन की थाली के अर्थशास्त्र के आधार पर की गई समीक्षा में पौष्टिक थाली के दामों के आधार पर निष्कर्ष निकाला जाता है. इस अर्थशास्त्र के जरिये भारत में एक सामान्य व्यक्ति की ओर से एक थाली के लिए किए जाने वाले खर्च का आकलन करने की कोशिश की जाती है.