रायपुर:- छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की माई की नगरी डोंगरगढ़ का चुनावी इतिहास रोचक रहा है। इस विधानसभा सीट से जिस दल का विधायक चुना जाता है, सरकार भी उसी पार्टी की बनती रही है। यह एक-दो चुनाव से नहीं बल्कि अस्तित्व में आने के बाद से यानी अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से हो रहा है। डोंगरगढ़ से विधायक के साथ ही राज्य में सरकार बनाने का प्रसाद भी मिलता है। अनुसूचित जाति वर्ग के लिए यह सीट आरक्षित है। वर्तमान में कांग्रेस के भुनेश्वर बघेल वहां से विधायक हैं और राज्य में सरकार भी कांग्रेस की ही है। डोंगरगढ़ विधानसभा में अब तक हुए 17 चुनावों में 14 बार कांग्रेस से विधायक चुने गए हैं। तीन बार वहां से भाजपा की जीत हुई है।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पहले तक हुए सभी 13 चुनावों में कांग्रेस की ही जीत हुई लेकिन राज्य गठन के बाद हुए पहले चुनाव में मतदाताओं का मन बदला और पहली बार भाजपा को जीत मिली। विनोद खांडेकर विधायक बने। उस समय राज्य में पहली बार भाजपा की सरकार भी बनी। 2008 में भाजपा की दूसरी जीत के नायक रहे रामजी भारती। उस वर्ष भी छत्तीसगढ़ में भाजपा को सत्ता मिली।
वर्ष 2013 में भाजपा ने इस सीट पर हैट्रिक जमाई। सरोजनी बंजारे विधायक चुनी गईं और डा. रमन सिंह के रूप में राज्य में एक बार फिर भाजपा की सरकार बैठी।खास बात यह है कि यहां तीनों चुनाव में भाजपा ने नए प्रत्याशी को मैदान में उतारा और जीत मिली। जब इस फार्मूले को बदला गया तो भाजपा हार गई।