नई दिल्ली. पान पराग के उस विज्ञापन को आप नहीं भूल पाए होंगे जो शम्मी कपूर और अशोक कुमार पर फिल्माया गया था. ‘बारातियों का स्वागत पान पराग से कीजिएगा.’… ये विज्ञापन आपने भी जरूर देखी होगी. लेकिन आज हम पान पराग की नहीं बल्कि उससे जुड़ी कलम और स्टेशनरी आइटम्स बनाने वाली कंपनी रोटोमैक (Rotomac) की चर्चा करेंगे.कभी साइकिल पर पान मसाला बेचने वाले मनसुखभाई कोठारी ने पान पराग कंपनी की शुरूआत कर सफलता की नई कहानी लिखी थी, लेकिन उनके बेटे विक्रम कोठारी (Vikram Kothari) की कंपनी रोटोमैक कर्ज के ऐसे जाल में फंसी कि चंद सालों में कंपनी अर्श से फर्श पर पहुंच गई.
मनसुख भाई कोठारी ने ₹500 से खड़ा किया था अरबों का कारोबारबाबूजी के नाम से मशहूर मनसुख भाई कोठारी ने कानपुर में पान पराग की नींव रखने से पहले मजदूरी भी की थी. बाद में 500 रुपये की पूंजी के साथ कारोबार की शुरुआत की और धीरे-धीरे अरबों की कंपनी खड़ी कर दी. उनका 91 वर्ष की उम्र में साल 2015 में निधन हो गया था.
1992 में Rotomac की शुरुआतमनसुख भाई कोठारी ने साल 1992 में रोटमैक कंपनी की नींव रखी गई. साल 1999 में कारोबार का बंटवारा हो गया. मनसुख कोठारी के बड़े बेटे विक्रम कोठारी के हिस्से में रोटमैक आई जबकि छोटे बेटे दीपक कोठारी को पान मसाला का बिजनेस मिला. कहा जाता है कि 90 की दशक में यह पेन हर किसी की जेब में रहता था. सलमान खान, रवीना टंडन जैसे फिल्मी सितारे इसका विज्ञापन करते थे. कंपनी का ‘लिखते-लिखते लव हो जाए’ वाला विज्ञापन काफी पॉपुलर हुआ था. दिलचस्प बात है कि उसी ‘कलम’ से विक्रम कोठारी ने 3700 करोड़ रुपये के घोटाले की कहानी लिखी.रोटोमैक के पतन की कहानी लोनरोटोमैक के बर्बादी की कहानी कर्ज के साथ शुरू हुई.
कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी पर फर्जी तरीके से लोन लेने और कर्ज नहीं चुकाने का आरोप लगा. विक्रम कोठारी ने 7 बैंकों से कर्ज लिया, लेकिन उसे चुकाने में विफल रहे. लोन नहीं चुका पाने के कारण कंपनी का बिजनेस बंद हो गया. सीबीआई ने 2018 में विक्रम कोठारी को गिरफ्तार कर लिया. स्वास्थ्य कारणों से बाद में जमानत मिल गई. साल 2022 में विक्रम कोठारी का निधन हो गया. लोन के जाल में दबी रोटोमैक कंपनी का वजूद साल 2020 में खत्म हो गया. रोटोमैक ब्रांड का नाम 3.5 करोड़ में नीलाम हो गया