नई दिल्ली:- दुनिया में कई जानवरों को बचाने से ना केवल एक प्रजाति को बचाया जा सकता है, बल्कि उस प्रजाति पर निर्भर इकोसिस्टम और जैवविविधता को भी कायम रखा जा सकता है. इन जानवरों में एक नाम महासागरों की व्हले शार्क का भी है. विलुप्तप्रायः व्हेल शार्क व्हेल पर अध्ययन बताते हैं कि उनके कम होने या खत्म होने की स्थिति बनने का कारण कुछ अजीब सा है और इस कारण को जानने से वैज्ञानिकों को इनके संरक्षण में मदद मिल सकेगी.
व्हेल शार्क जैसे जानवरों की उम्र का उनकी जनसंख्या के बढ़ने से गहरा नाता होता है. रोचक बात यह पता चली है कि नर और मादा व्हेल शार्क की उम्र में तो अंतर होता ही है उनका बड़े होने या वृद्धि की दर में भी अंतर होता है. नर व्हेल शार्क तेजी से बढ़ते हैं, वहीं मादा व्हेल धीरे धीरे बढ़ती हैं.
इसका असर व्हेल शार्क के प्रजनन पर भी होता है. नर 30 साल की उम्र तक बच्चे पैदा करने के काबिल हो जाते हैं और 8 मीटर लंबे हो जाते हैं. मादा व्हेल शार्क इस स्थिति में 50 साल की उम्र तक पहुंच पाती हैं और तब तक उनका आकार 14 मीटर तक पहुंच जाता है.
व्हेल शार्क की उम्र 100 से 150 साल तक की होती है. इनमें सबसे लंबी शार्क 18 मीटर तक लंबी होती है. फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस जर्नल में प्रकाशित स्टडी के अनुसार मादा व्हेल शार्क एक बार में 300 से ज्यादा बच्चो को पैदा करती है. बड़ा शरीर होने के कारण वे छोटे बच्चों को शरीर के अंदर ज्यादा समय तक रखती हैं.
साफ है कि नर और मादा व्हेल शार्क के बढ़ने की रफ्तार अलग अलग होती है. इनका अध्ययन सान काम नहीं है क्योंकि इनकी जानकारी इनकी लाश के अध्ययन से मिलता है. उस पर उनकी मिली लाश भी ऐसी व्हले शार्क की होती हैं जो असामान्य रूप से मरी होती हैं जिनसे जानकारी साफ और सही नहीं मिल पाती है.
व्हेल शार्क के बारे में सबसे रोचक बात उनका नाम ही है. विशालकाय जानवर होने के बाद भी ये व्हेल नहीं होती हैं. ये फिल्टर फीडिंग शार्क ही होती हैं जो अपने बड़े से मुंह में खूब सारा समुद्री पानी अंदर लेती हैं जिसमें छोटे और अन्य जानवर छन कर इनका भोजन बनते हैं ये दुनिया की सबसे बड़ी मछली के तौर पर जानी जाते हैं.
फिल्टर फीडर होने के कारण व्हेल शार्क का खाना खाने का तरीका अलग तरह का होता है. ये ना तो काटती हैं ना ही कुछ चबाती हैं. वे अपने गिल्स के जरिए एक घंटे में 6 हजार लीटर के पानी को छानने का काम करती हैं. इनका मुंह को चार फुट चौड़ा खुल सकता है, लेकिन इन के दांत छोटे होते हैं इसलिए ये केवल छोटी मछलियां या जानवर ही खा सकती हैं.
व्हेल शार्क गर्म तापमान वाले सागरों में पाई जाती हैं. इसके अलवा ये भूमध्य सागर में भी मिलते हैं. वे एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए हजारों मील का सफर करती हैं, लकिन उनके तैरने की गति 3 मील प्रति घंटा है. इस वह से इनका शिकार भी आसान हो जाता है और यही वजह है कि इनकी संख्या तेजी से कम होती जा रही है.