भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. यह किसी क्षेत्र में असाधारण और सर्वोच्च सेवा के लिए दिया जाता है. किसी भी भारतीय के लिए भारत रत्न मिलना उसके लिए सबसे बड़ा खिताब होता है. इसकी शुरुआत 2 जनवरी, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने की थी. पहली बार यह सम्मान स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वैज्ञानिक डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकट रमन को दिया गया.यह सम्मान 26 जनवरी को दिया जाता है. इस सम्मान के महत्व को तो कई लोग जानते हैं. लेकिन आज जानते हैं इससे जुड़े कुछ ऐसे नियम जिनसे कई भारतीय अनजान हैं.
कौन करता है सिफारिशभारत रत्न के पुरस्कार के लिए किसी शख्स की सिफारिश स्वयं भारत के प्रधानमंत्री देश के राष्ट्रपति से करते हैं. इसके लिए किसी औपचारिक सिफारिश की जरूरत नहीं होती. इस सम्मान को पाने वाले नामों की घोषणा राष्ट्रपति की सहमति के बाद राष्ट्रपति सचिवालय करता है. फिर देश के राष्ट्रपति चुने हुए शख्स को 26 जनवरी को भारत रत्न से सम्मानित करते हैं.जरूरी नहीं है कि हर साल किसी को भारत रत्न मिलेगा ही. उदाहरण के लिए साल 2020 और 2021 में किसी को भी भारत रत्न सम्मन नहीं दिया गया था.
साथ ही एक साल में कितने लोगों को यह पुरस्कार मिलेगा, इसकी सीमा भी तय की गई है. एक साल में 3 से ज्यादा लोगों को भारत रत्न पुरस्कार नहीं मिलेगा. इन्हीं नियमों के चलते, इस पुरस्कार की स्थापना के 70 साल बाद भी करीब 50 लोगों को ही भारत रत्न के सम्मान से नवाज़ा गया है.पदक और सनददेश के राष्ट्रपति भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देते हुए शख्स को दो चीजें देते हैं. एक होता है सनद (प्रमाणपत्र). इस पर खुद राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए होते हैं.
दूसरी चीज होती है टोन्ड कांस्य का बना हुआ पदक. यह पदक पीपल के पत्ते के आकार का है. आगे की तरफ प्लैटिनम का चमकता सूर्य बना हुआ है. जिसके नीचे चांदी से हिंदी में भारत रत्न लिखा होता है. पीछे की तरफ अशोक स्तंभ बना हुआ है और उसके नीचे देश का आदर्श वाक्य – सत्यमेव जयते – लिखा होता है.सरकार की तरफ से जारी जानकारी के अनुसार एक भारत रत्न पदक और उसके बॉक्स सहित मिनिएचर की कुल लागत 2,57,732 रुपए है.
नाम के साथ कैसे करें इस्तेमालसमाज में इस सम्मान को पाने वाली शख्सियतों की इज्जत बढ़ जाती है. हालांकि, आधिकारिक तौर पर इस सम्मान को अपने नाम से पहले या बाद में जोड़ा नहीं जा सकता. उदाहरण के लिए क्रिकेट के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को साल 2014 में भारत रत्न सम्मान मिला था.कानूनी रूप से वो अपने नाम में पहले या बाद में भारत रत्न नहीं जोड़ सकते. यह नियम संविधान के अनुच्छेद 18 (1) के अनुसार बनाया गया है. हालांकि, अगर पुरस्कार विजेता को आवश्यकता महसूस होती, तो वो अपने बायोडाटा, लेटरहेड या विजिटिंग कार्ड जैसी जगहों पर लिख सकते हैं-
‘राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित’ या ‘भारत रत्न प्राप्तकर्ता’.फ्री हवाई यात्राभारत रत्न पुरस्कार में शख्स को कोई धनराशि नहीं मिलती. मगर इस सम्मान से और कई फायदे होते हैं. इस मामले में एक व्यक्ति ने 2014 में RTI फाइल की थी. भारत सरकार की तरफ से गृह मंत्रालय ने जवाब में भारत रत्न से पुरस्कृत व्यक्ति को मिलने वाले फायदे बताए थे.
इनमें से एक है जीवनभर मुफ्त में हवाई यात्रा. जानकारी के मुताबिक, इस सम्मान को पाने वाले व्यक्ति को एयर इंडिया की एग्जीक्यूटिव क्लास में पूरी जिंदगी मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलेगी.राज्य अतिथिभारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पाने वाले शख्स को भारत के भीतर किसी भी राज्य में यात्रा करते समय राजकीय अतिथि का दर्जा दिया जाएगा.
राज्य के मेहमानों को राज्य में स्वागत, परिवहन, भोजन और आवास की सुविधा प्रदान की जाती है.नियमों के आधार पर उन्हें सुरक्षा भी दी जाती है. यह सम्मान देश के केवल कुछ लोगों को ही मिलता है. इसमें इनके अलावा भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसी बड़ी हस्तियों को ही राजकीय अतिथि का दर्जा मिलता है.
डिप्लोमैटिक पासपोर्ट का हकदारभारत सरकार तीन तरह के पासपोर्ट जारी करती है. एक पासपोर्ट नीले रंग का होता है जो आम नागरिकों को जारी किया जाता है. देश के राॅ गवर्नमेंट को ऑफिशियल को सफेद रंग का खास पासपोर्ट मिलता है. वहीं, भारतीय राजनयिकों और शीर्ष रैंकिंग वाले सरकारी अधिकारियों को मैरून कवर वाला डिप्लोमैटिक पासपोर्ट जारी किया है.भारत रत्न पुरस्कार के विजेता भी डिप्लोमैटिक पासपोर्ट के हकदार होते हैं. डिप्लोमैटिक पासपोर्ट धारकों को विदेशों में एम्बेसी से लेकर यात्रा के दौरान तक कई सुविधाएं दी जाती हैं.
इसके अलावा, उन्हें वीजा की जरूरत नहीं पड़ती और इमिग्रेशन की प्रक्रिया भी बाकी की तुलना में जल्दी हो जाती है.जज और सांसद से ऊपर होगी वरीयताभारत सरकार का एक ऑर्डर ऑफ प्रेसिडेंस होता है. यह एक तरह की प्रोटोकॉल सूची होती है. इसमें भारत सरकार में पदाधिकारियों और अधिकारियों को रैंक और कार्यालय के अनुसार दर्ज किया जाता है. इस सूची में भारत रत्न से सम्मानित लोगों की वरीयता 7A रखी गई है.
इस वरीयता को इस तरह से समझ सकते हैं कि सरकारी आयोजन में भारत रत्न के विजेता की वरीयता सुप्रीम कोर्ट के जज, सांसद, आर्मी कमांडर जैसे अहम लोगों के ऊपर रखी जाएगी.यह सूची राजकीय और औपचारिक अवसरों के लिए होती है. सरकार के रोजमर्रा के कामकाज में इसका कोई उपयोग नहीं है. इस ऑर्डर को भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी किया जाता है और गृह मंत्रालय द्वारा बनाए रखा जाता है.