भारत के चंद्रयान-3 को बड़ी सफलता मिली है और चांद पर गए रोवर ‘प्रज्ञान’ ने बड़ी खोज की है. प्रज्ञान ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ऑक्सीजन ढूंढ लिया है. ISRO ने बताया कि प्रज्ञान अब दक्षिणी ध्रुव पर हाइड्रोजन की तलाश में है. चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला हिन्दुस्तान दुनिया का पहला देश बना था, इस ऐतिहासिक पल की दुनिया के वैज्ञानिक समाज ने खुशी मनाई.
इसरो द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, ऑक्सीजन के साथ-साथ प्रज्ञान को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर एल्युमिनियम, कैल्शियम, मैगनीज, आयरन, सिलिकॉल, टाइटेनियम, सल्फर के सबूत मिले हैं. यानी भारत वो देश बन गया है जिसने दुनिया को पहली बार बताया कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ऑक्सीजन के सबूत हैं. अब इसका अगला पड़ाव ये होगा कि चांद के इस हिस्से में जीवन के सबूत खोजे जाएंगे.
चांद पर चंद्रयान-3 को क्या-क्या मिला?ऑक्सीजनआयरनक्रोमियमटाइटेनियमएल्युमिनियमकैल्शियममैगनीजसिलिकॉनसल्फरबता दें कि चांद पर पहुंचने का ये भारत का तीसरा मिशन है, पहले मिशन में भारत के चंद्रयान-1 चांद पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया था ये मिशन 2008 में भेजा गया था. चंद्रयान-2 चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया था, लेकिन उसके ऑर्बिटर ने काफी काम किया.
अब चंद्रयान-3 चांद के साउथ पोल पर पहुंचा और उसने इतिहास रच दिया.इसरो का अगला मिशन चांद के इस हिस्से में हाइड्रोजन की खोज करना है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां ऑक्सीजन तो मिल ही गया है, अगर हाइड्रोजन भी मिलता है तो पानी की संभावनाएं बढ़ जाएंगी. यानी चांद पर ऑक्सीजन और पानी दोनों होंगे तो इंसानी बस्तियां बसाने का सपना सच साबित हो सकता है.
ISRO का महत्वकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा था, जिसके साथ ही भारत ने इतिहास रच दिया था. भारत चांद पर पहुंचने वाला चौथा जबकि इसके दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया. 23 अगस्त को लैंड हुए चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर की उम्र 14 दिन की है और ये समय सीमा 2 सितंबर को खत्म हो रही है.(