नई दिल्ली:- रतनजोत या ‘अलकन्ना टिंकटोरिया’ एक ऐसी औषधीय जड़ी-बूटी है जो अपने कई चिकित्सीय गुणों के लिए जानी जाती है. इसका उपयोग खासतौर पर आयुर्वेदिक चिकित्सा में तो किया ही जाता है बल्कि त्वचा व बालों की देखभाल से जुड़े कई उत्पादों में भी इसका उपयोग किया जाता है. यही नहीं इसके दर्द निवारक व कई अन्य गुणों के कारण इसे कई घरेलू नुस्खों में शामिल किया जाता है. लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सकों की माने तो इसके उपयोग के दौरान इसके इस्तेमाल से जुड़ी सावधानियों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है क्योंकि कुछ विशेष अवस्थाओं में इसका इस्तेमाल कुछ समस्याओं का कारण भी बन सकता है.
क्या है रतनजोत : मुंबई के आरोग्यधाम आयुर्वेदिक चिकित्सालय की चिकित्सक डॉ मनीषा काले बताती हैं कि रतनजोत एक औषधीय जड़ी-बूटी है .जिसका कई तरह से उपयोग किया जाता है. इसका पौधा ज्यादातर हिमालय के क्षेत्रों में पाया जाता है जिसकी जड़ से लाल रंग का तेल प्राप्त किया जाता है. रत्नजोत के फल, पत्तों और जड़ों का उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों, सौन्दर्य उत्पादों तथा बालों व कपड़ों को रंगने वाली प्राकृतिक डाई के रूप में किया जाता है
Dr. Manisha Kale बताती हैं कि रतनजोत का उल्लेख आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में भी मिलता है. जिसमें बताया गया है कि हालांकि रत्नजोत में कफ को बढ़ाने वाली प्रवत्ति मिलती है लेकिन इसके स्वास्थ्य को कई लाभ भी मिलते हैं बशर्ते इसका उपयोग सही तरह से और सही मात्रा में किया जाए. गौरतलब है कि रतनजोत में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. साथ ही इसमें नेफ्था क्विनोन, फ्लेवोनोइड्स, अल्केनिन और शिकोनिन जैसे रसायन भी पाए जाते हैं.
रतनजोत के उपयोग : गौरतलब है कि त्वचा व बालों की देखभाल से जुड़े कई उत्पादों, दर्द निवारक तेलों, सौंदर्य प्रसाधनों व कुछ आयुर्वेदिक औषधियों में इसकी जड़ से बने चूर्ण व तेल का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा कुछ विशेष प्रकार के आहार में भी खाने की रंगत बढ़ाने के लिए इसका इसका उपयोग किया जाता है. लेकिन खाने में इसका उपयोग बेहद ही कम मात्रा में करना चाहिए. अन्यथा खाने का स्वाद तो बिगाड़ ही सकता है बल्कि इससे कई अन्य तरह की परेशानियां भी हो सकती हैं. इसके अलावा बालों व कपड़ों के लिए हर्बल डाई के रूप में इसका उपयोग किया जाता है.
रतनजोत के फायदे : Doctor Dr. Manisha Kale बताती हैं कि नियंत्रित मात्रा में तथा सभी सावधानियों के साथ इसका उपयोग करने से रतनजोत से सेहत को कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
रतनजोत का तेल एंटीसेप्टिक गुणों से भरपूर होता है, जिससे यह त्वचा पर छोटे-मोटे घावों, जलन और खुजली के इलाज में उपयोगी होता है.
इसका उपयोग बालों को झड़ने को रोकने और उन्हें काला और घना बनाने वाली औषधियों व उत्पादों में भी किया जाता है. यह बालों की जड़ों को मजबूत करता है और डैंड्रफ जैसी समस्याओं से निजात दिलाने में सहायक है.
रतनजोत का आयुर्वेदिक उपयोग खून को साफ करने के लिए किया जाता है. यह शरीर से विषैले तत्वों को निकालने और त्वचा को स्वस्थ बनाने में सहायक माना जाता है.
इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, इसलिए रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने में मददगार तथा सर्दी-जुकाम व एलर्जी से जुड़ी कुछ समस्याओं के लिए दी जाने वाली आयुर्वेदिक औषधियों में इसका उपयोग किया जाता है.
रतनजोत के मिश्रित तेल को माथे पर लगाने से सिरदर्द, अनिद्रा और डिप्रेशन जैसी समस्याओं में आराम मिल सकता है. इस तेल को माथे पर मलने के साथ उसे सूंघने से भी इन समस्याओं में लाभ मिल सकता है.
रतनजोत में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होता है, जो दर्द और सूजन को कम करने में मददगार होता है. यदि घाव या दर्द हाथ, पैर, पेट व सीने जैसी बाहरी त्वचा पर है या जोड़ों में दर्द की समस्या है तो दर्द वाली जगह पर इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से या इसके तेल के सीधे इस्तेमाल से तुरंत आराम पहुंचाता है. लेकिन आंतरिक अंगों पर इसका सीधा उपयोग नहीं करना चाहिए. जैसे दर्द अगर मसूढ़ों या दांतों में हो तो जिस स्थान पर दर्द हो रहा है चेहरे पर उसके बाहर वाले स्थान पर इसका तेल या पत्तियों का रस लगाने से दर्द में राहत मिल सकती हैं.
आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा में बुखार ठीक करने और और बदन दर्द में राहत के लिए भी रतनजोत के जड़ के तेलों का इस्तेमाल किया जाता है . रतनजोत के तेल से अच्छी तरह से मालिश करने पर बुखार तथा बदन दर्द में काफी आराम मिलता है.
उपयोग से जुड़ी सावधानियां : Dr Manisha Kale बताती हैं कि रतनजोत का उपयोग काफी सावधानियों के साथ करना चाहिए. हालांकि छोटे-मोटे घावों, जलन और बाहरी त्वचा पर दर्द के इलाज के लिए रतनजोत के तेल या पत्तियों के रस को सीधे घाव पर लगाया जा सकता है, लेकिन त्वचा व बालों की देखभाल में यदि इसका उपयोग किया जा रहा है तो इसके तेल का उपयोग मूल रूप में कभी भी त्वचा पर सीधे नहीं करना चाहिए. यही नहीं कुछ विशेष अवस्थाओं में इसके इस्तेमाल व सेवन से पूरी तरह से बचना चाहिए. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
स्तनपान कराने वाली महिलाओं और गर्भावस्था के दौरान भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
ज्यादा संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को क्रीम, दवाई या डाई के रूप में भी इसके इस्तेमाल के बचना चाहिए या त्वचा पर परीक्षण के बाद ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए.
जिन लोगों को जड़ी-बूटियों से एलर्जी होती है, उन्हें रतनजोत के इस्तेमाल से भी बचना चाहिए.
इसके अलावा औषधि के रूप में या काढ़े के रूप में भी इसका सेवन बिना डॉक्टरी सलाह या जानकारी के अभाव में नहीं करना चाहिए क्योंकि ज्यादा मात्रा में या गलत तरह से इसका उपयोग कई समस्याओं का कारण बन सकता है.