पुणे. दूध हर घर की जरूरत है. लेकिन इन दिनों इसी दूध को लेकर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है. मामला इतना बढ़ गया कि गृहमंंत्री अमित शाह को भी जवाब देना पड़ गया. इसके बावजूद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. किसान और महाराष्ट्र में विपक्षी दल सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. आइए जानते हैं कि पूरा मामला आखिर है क्या?तकरीबन 20 दिन पहले एक खबर आई कि सरकार ने टैरिफ रेट कोटा (TRQ) के अंतर्गत 10,000 मीट्रिक टन दूध के पाउडर, ग्रेन्यूल या अन्य ठोस रूपों में दूध के आयात की अनुमति दी है.TRQ एक ऐसी व्यवस्था है जो किसी निश्चित मात्रा तक कम शुल्क दर पर आयात की अनुमति देता है, जबकि उस मात्रा से अधिक आयात करने पर उच्च शुल्क दर लागू होती है. यह खबर जैसे ही सामने आई, हंगामा मच गया.
महाराष्ट्र में भारी मात्रा में दूध का उत्पादन होता है, इसलिए वहां के किसान सड़क पर आ गए. विरोध जताना शुरू कर दिया. उनका कहना था कि सरकार उनके दूध की कीमतें नहीं बढ़ा रही है, जबकि बाहर से दूध आयात किया जा रहा है. महाराष्ट्र में विपक्षी दल कांग्रेस, एनसीपी और उद्धव ठाकरे की पार्टी भी विरोध में आ गई. सरकार पर किसानों के साथ छल करने का आरोप लगाने लगी.
शाह ने खुद संभाला मोर्चामामला बिगड़ा देख केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने खुद मोर्चा संभाला. रविवार को महाराष्ट्र में ही उन्होंने इसका जवाब दिया. पुणे में शाह ने कहा, ‘दूध पाउडर आयात करने की सरकार की कोई योजना नहीं है. महाविकास अघाड़ी में शामिल दल झूठ फैला रहे हैं. जब यह खबर मेरे पास आई तो मैं भी भ्रमित हो गया. मैंने पीयूष गोयल को फोन किया. तब उन्होंने मुझे बताया कि यह हमारा नहीं बल्कि शरद पवार का निर्णय था. भ्रमित मत होइए. सर्कुलर उनके द्वारा बनाया गया था. जो सर्कुलर एमवीए के लोग दिखाकर कह रहे हैं कि कि सरकार दूध आयात करने की योजना बना रही है, दरअसल, यह अधिसूचना शरद पवार के समय की है.’एक किलो भी दूध पाउडर आयात नहीं कियाअमित शाह ने कहा, हमारी ऐसी कोई योजना नहीं है. पिछले दस वर्षों में, एक किलो दूध पाउडर भी आयात नहीं किया गया था. अगले पांच साल में एक ग्राम भी दूध पाउडर का आयात नहीं किया जाएगा. ये लोग चुनाव जीतने के लिए फर्जी कहानियां गढ़ना चाहते हैं. अपने संबोधन के दौरान अमित शाह ने एनसीपी (सपा) प्रमुख शरद पवार पर भी तीखा हमला बोला और उन्हें देश में ‘भ्रष्टाचार का सरगना’ तक करार दिया
किसानों की परेशानी नहीं थम रहीदरअसल, महाराष्ट्र में भारी मात्रा में दूध का उत्पादन होता है. लेकिन किसानों का दावा है कि उन्हें सही दाम नहीं मिल रहा है. जिसकी वजह से कई बार उन्होंने प्रदर्शन भी किया. सरकार ने 2024-25 के बजट में 5 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी जारी रखने का ऐलान किया था. कहा था कि डेयरी कंपनियों को न्यूनतम 30 रुपये प्रति लीटर की दर से गाय का दूध खरीदना होगा, जिस पर सरकार 5 रुपये किसानों को देगी. एक जुलाई से इसे लागू होना था, लेकिन किसानों का दावा है कि उन्हें नहीं मिल रहा. अब भी किसानों से 24 से 26 रुपये प्रति लीटर की दर से दूध खरीदा जा रहा है, जिससे किसानों का नुकसान हो रहा है.