हाल में इंडिगो की फ्लाइट का एक वायरल वीडियो आपने देखा होगा. इसमें एक फ्लाइट लेट होने की वजह से एक गुस्साया यात्री केबिन क्रू पर हमला कर देता है. आखिर ये फ्लाइट 10 से 12 घंटे लेट थी और इसकी वजह उत्तर भारत में इन दिनों पड़ रहा घना कोहरा है. कोहरे की वजह से फ्लाइट लेट होना लाजिमी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में ऐसी भी टेक्नोलॉजी है, जो घने कोहरे में फ्लाइट की सेफ लैंडिंग करवा सकती है. फिर हमारे यहां इसे इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता?
चलिए पहले समझते हैं इसी टेक्नोलॉजी के बारे में…घने कोहरे में फ्लाइट की सेफ लैंडिंग में CAT टेक्नोलॉजी बेहद काम आती है. यह एक तरह का नेविगेशन सिस्टम है, जो रनवे पर लगे रडार सेंसर्स और हवाई जहाज के संपर्क से चलता है. इसमें हवाई जहाज का सीधा कनेक्शन रनवे के रडार सिस्टम से होता है जिससे पायलट को रनवे पर विमान को उतारने, रनवे की स्थिति और उसे सही स्थिति में रखने की जानकारी मिलती है. हालांकि इसके लिए पायलट का ट्रेन्ड होना बहुत जरूरी है.दिल्ली-कोलकाता में उपलब्धहै CAT-3ऐसे एयरपोर्ट जिनके रनवे पर CAT नहीं है, वहां कोहरे या बेहद कम विजिबिलिटी में जहाज उतारना टेढ़ी खीर होता है.
हालांकि दिल्ली में यह सुविधा उपलब्ध है. लेकिन ये दिल्ली के एयर ट्रैफिक के लिए नाकाफी है. भारत में सबसे अच्छी क्षमता वाली CAT-3 टेक्नाोलॉजी है. ये दिल्ली के बस दो रनवे पर मौजूद है. वहीं कोलकाता हवाई अड्डे पर भी ये सुविधा उपलब्ध है. दिल्ली में एयर ट्रैफिक ज्यादा होने की वजह से कई बार जहाज को लखनऊ, भोपाल या जयपुर भेज दिया जाता है. वैसे कैट सिस्टम की कई कैटेगरी होती हैं…
CAT-1: इसमें जनरल विजिबिलिटी आठ सौ मीटर और रनवे की विजिबिलिटी 550 मीटर से कम नहीं होना चाहिए. लैंड करने का फैसला लेते समय ऊंचाई दो सौ फुट से कम नहीं होना चाहिए.CAT-2: इस रनवे पर विजिबिलिटी 350 मीटर से कम नहीं होना चाहिए. इसी तरह डिसीजन हाइट सौ फुट से कम नहीं हो सकता
.CAT-3: यह रनवे सबसे उच्च श्रेणी में आते हैं. इसकी तकनीक बेहद शानदार है. कोहरे में और बेहद कम विजिबिलिटी में भी इन पर लैंडिंग आसान होती है. इसे भी तीन श्रेणी में बाँटा गया है. यह क्रमशः CAT-3A, CAT-3B और CAT-3C कहे जाते हैं. ऐसे रनवे पर 50 मीटर की विजिबिलिटी पर भी कुशल पायलट आसानी से जहाज उतार लेते हैं
.CAT-3 के लिए पायलटों की होती है विशेष ट्रेनिंगCAT-3 से सुसज्जित रनवे के लिए पायलटों को विशेष प्रशिक्षण लेना होता है. यह ट्रेनिंग अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होती है. इसका प्रमाणपत्र भी मिलता है. ट्रेंड पायलट केवल कोहरा या कम विजिबिलिटी में ही नहीं तूफानी बारिश, विपरीत मौसम में भी जहाज कुशलता पूर्वक लैंड कराने में सक्षम होते हैं. ऐसे पायलट CAT-3 रनवे पर ऑटो पायलट मोड, ग्राउंड इक्विपमेंट और इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग एप्रोच के माध्यम से जहाज को कुशलता पूर्वक उतारने में सक्षम होते हैं.हर पायलट को नहीं मिल सकती है ट्रेनिंगCAT-3 रनवे पर जहाज उतारने का प्रशिक्षण लेने के लिए मुख्य पायलट के पास कम से कम ढाई हजार घंटे का उड़ान का अनुभव होना चाहिए. इसी तरह सह-पायलट को भी पाँच सौ घंटे का तजुर्बा जरूरी है.
CAT-2 की तीन घंटे की ट्रेनिंग हासिल करने के बाद ही पायलट CAT-3 के प्रशिक्षण के योग्य माने जाते हैं. CAT-2 और CAT-3 की ट्रेनिंग के लिए आल वेदर ऑपरेशन्स का कोर्स होता है, जो पायलट को करना होता है. चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के मुताबिक देश में सिर्फ पाँच फीसदी पायलट CAT-3 रनवे के लिए प्रशिक्षित हैं. संगठन ने मांग की है कि ज्यादा से ज्यादा पायलटों को इसकी ट्रेनिंग दिलाई जाए.50 लाख रुपए महीना मेंटिनेंसCAT-3 प्रणाली को रनवे से इन्टीग्रेट करने की लागत करीब 10 करोड़ रुपए आती है. जबकि इसका मेन्टिनेस कॉस्ट भी 50 लाख रुपए महीने तक जाता है.