नई दिल्ली:- ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क में या उसके आसपास सेल्स का इक्कठा होना होता है। यानी यह ब्रेन के टिश्यू में या उसके पास भी हो सकता है। ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क में शुरू हो सकता है और इसे प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। कई बार शरीर के दूसरे हिस्से से कैंसर ब्रेन में फैल जाता है। यह सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर होते हैं।
इसे मेटास्टैटिक ब्रेन ट्यूमर भी कहा जाता है। ब्रेन ट्यूमर नर्वस सिस्टम पर असर डाल सकता है, लेकिन यह उसके बढ़ने की स्पीड और जगह पर निर्भर करता है। ब्रेन ट्यूमर कई प्रकार के होते हैं जैसे कुछ कैंसरस होते हैं और कुछ नॉन कैंसरस होते हैं ।
मेयो क्लिनिक (Ref) के अनुसार अलग-अलग प्रकार के ब्रेन ट्यूमर के लक्षण भी अलग हो सकते हैं। हालांकि कई बार इसका कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है लेकिन व्यक्ति को ब्रेन ट्यूमर हो जाता है। ब्रेन ट्यूमर में निम्न लक्षण और संकेत शामिल होते हैं।
बार-बार सिर दर्द होना
सिर दर्द का धीरे-धीरे गंभीर होना
बिना किसी वजह के उल्टी और मतली
आंखे कमजोर होना
शरीर का संतुलन बिगड़ना
उलझन महसूस होना
व्यवहार में परिवर्तन
सुनने में परेशानी
थकान और सुस्ती
शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस
ब्रेन ट्यूमर के दो मुख्य प्रकार होते हैं
कैंसरस ब्रेन ट्यूमर: यह ट्यूमर बहुत ही धीरे-धीरे बढ़ता है और इसके दोबारा होने की संभावना कम होती है।
नॉन कैंसरस ब्रेन ट्यूमर: यह प्राइमरी ट्यूमर के रूप में मस्तिष्क में शुरू होता है और धीरे-धीरे पूरे मस्तिष्क में फैल जाता है। इस ट्यूमर के दोबारा होने की संभावना अधिक रहती है।
ब्रेन ट्यूमर तब होता है, जब ब्रेन में या उसके आसपास की कोशिकाओं के डीएनए में बदलाव होता है। कोशिका के डीएनए उन्हें बताते हैं कि क्या करना है। यह परिवर्तन कोशिकाओं को तेजी से बढ़ने और जीवित रहने के निर्देश देते हैं, जबकि स्वस्थ कोशिकाएं अपने प्राकृतिक जीवन चक्र के हिस्से के रूप में खत्म हो जाती हैं। इससे ब्रेन में बहुत सारी अतिरिक्त कोशिकाएं बन जाती हैं।
ऐसे में कोशिकाओं का जमाव होने पर वह ट्यूमर बन जाता है। हालांकि डीएनए में होने वाले बदलाव का कारण स्पष्ट नहीं है। कई बार बच्चों को अपने माता-पिता से डीएनए में होने वाले बदलाव मिलते हैं। ऐसे में यह ब्रेन ट्यूमर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
ब्रेन ट्यूमर होने के जोखिम को बढ़ाने वाले कुछ कारक हैं जैसे-
बढ़ती आयु: उम्र के साथ ब्रेन ट्यूमर का भी खतरा बढ़ जाता है। ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन वृद्ध लोगों में यह सबसे आम है। कुछ प्रकार के ब्रेन ट्यूमर सिर्फ बच्चों को ही होते हैं।
रेडिएशन के साइड इफेक्ट: जिन लोगों का आयोनिजिंग रेडिएशन हुआ है उन लोगों में ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है।
कैंसर की फैमिली हिस्ट्री: यदि व्यक्ति के परिवार में पहले किसी को ब्रेन ट्यूमर हुआ हो तो उसे भी यह बीमारी हो सकती है।
एचआईवी होना: किसी को एचआईवी या एड्स हुआ है तो उसे ब्रेन ट्यूमर भी हो सकता है।
यदि किसी व्यक्ति में ब्रेन ट्यूमर के लक्षण नजर आ रहे हैं तो डॉक्टर उसका शारीरिक परीक्षण करने के बाद सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी या कीमोथेरेपी कर सकते हैं। रोगी के लिए कौन सा इलाज उचित है यह डॉक्टर तय करते हैं। चूंकि ब्रेन ट्यूमर होने के बाद व्यक्ति के बोलने, देखने, चलने और कार्यकुशलता पर भी असर पड़ता है, ऐसे में मरीज को कुछ विशेष प्रकार की थेरेपी लेनी चाहिए जैसे फिजिकल थेरेपी और स्पीच थेरेपी।