नई दिल्ली :- आपको बता दे की शादीशुदा जीवन की डोर को मजबूत बनाए रखने के लिए आपसी समझ और विश्वास ही काफी नहीं होता है। एक अच्छी मैरिड लाइफ के लिए व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहना बेहद जरूरी होता है। लेकिन आजकल की भागती-दौड़ती जिदंगी में ना सिर्फ लोगों के खानपान की आदतों में बदलाव आया है बल्कि सुस्त लाइफस्टाइल की वजह से भी उनके जीवन में निरसता आने लगी है। यही वजह है कि शादी के कुछ सालों बाद ही कपल अपने शादीशुदा रिश्ते में बोरियत महसूस करने लगते हैं। अगर आप ऐसा ही कुछ महसूस करते हैं और लाइफ में वापस रोमांस और खुशहाली लाना चाहते हैं तो ये 2 योगासन आपकी मदद कर सकते हैं।
मैरिड लाइफ को बेहतर बनाने के लिए करें ये 2 योगासन-
बद्ध कोणासन-
तितली आसन को बद्ध कोणासन या तितली आसन के नाम से भी जाना जाता है। यह आसन पीठ के तनाव को कम करने के साथ-साथ शरीर और दिमाग को भी आराम देता है। तितली आसन करने से पेल्विस एरिया में खिंचाव पैदा होता है, जो महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद होता है। इतना ही नहीं ये आसन हिप्स, थाई के अंदरूनी हिस्सा, पीठ और पैर के मसल्स में खिंचाव पैदा करके स्ट्रेस को दूर करने का भी काम करता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से पाचन और पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है।
बद्ध कोणासन करने के लिए सबसे पहले सीधे बैठकर अपनी टांगों को सीधा फैला लें। अब अपनी टांगों को अंदर की तरफ इस तरह से मोड़ें कि दोनों पैर एक-दूसरे को टच करें। इस अवस्था में अपने घुटनों को साइड की दिशा में एकदम सीधा रखें और ऐसे हिलाते रहें कि लगे जैसे तितली उड़ रही हो। अब अपनी एड़ियों को पेल्विस के पास लाने की कोशिश करें। पेल्विस के जितने पास एड़ियों को लाने की कोशिश करेंगे उतना अच्छा रहेगा। अब अपनी जांघों को जमीन से टच कराने की कोशिश करें। इस आसन के दौरान धीरे-धीरे सांस को अंदर लेते और छोड़ते रहें।
भ्रामरी प्राणायाम-
डॉक्टरों का भी मानना है कि जो महिलाएं प्रेग्नेंसी की प्लानिंग कर रही हैं उन्हें एकदम खुश और रिलैक्स मूड में रहना चाहिए। इससे फर्टिलिटी हॉर्मोन्स बूस्ट होते हैं। बता दें, इन्फर्टिलिटी का एक कारण स्ट्रेस और टेंशन भी होता है। जिसे दूर करने में भ्रामरी प्राणायाम मददगार हो सकता है।
भ्रामरी प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले जमीन पर सीधे बैठकर आंखों को बंद करके हाथों के अंगूठों से दोनों कानों को बंद करें। दोनों हाथों की पहली उंगली को भौंहों के ऊपर रखें और बाकी तीन उंगलियों को आंखों पर रखें। इस आसन के दौरान मुंह एकदम बंद रखें और नाक से सामान्य गति से सांस लेते हुए मधुमक्खी की तरह मुंह बंद करके गुंजन करें।