नई दिल्ली:– HIV संक्रमण सबसे पहले मिडिल अफ्रीका में सामने आया था. यहां यह वायरस पहले चिंपाजी में फैला था. चिंपांजी से यह वायरस इंसानों में फैला.
18वीं सदी के अंत में HIV चिंपांजी से इंसानों में फैलना शुरू हुआ था. चिंपांजी में जो इसी प्रजाति का वायरस पाया जाता है, उसे सिमियम इम्युनोडेफिसिएंसी वायरस (SIV) कहते हैं.
कहा जाता है कि जब इंसानों ने खाने के लिए चिंपांजी का शिकार होगा, तो वह संक्रमित चिंपाजी के खून से संपर्क में आ गए होंगे, इसी से यह वायरस इंसानों में फैलता है.
बिल्लियों में इस वायरस को फेलिन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (FIV) कहा जाता है जो कि एड्स की तरह होता है. इसके लक्षण कई तरह के होते हैं.
शुरुआती संक्रमण के बाद कुछ बिल्लियां कई सालों तक ठीक-ठाक दिख सकती हैं. बाद में यह वायरस नर्वस सिस्टम को कमजोर करने लगाता है.
बिल्लियों में यह लक्षण कुछ ऐसे हो सकते हैं कि उनका वजन कम होने लगता है और वो सुस्त हो जाती हैं, उनका तापमान बार-बार ज्यादा कम हो सकता है.
इसके अलावा उनके मुंह में घाव, मसूड़ों में सूजन, बार-बार खांसी और सांस लेने में तकलीफ होती है. वहीं बिल्लियों की स्किन पर लाल चकत्ते, घाव हो जाते हैं.