मध्य प्रदेश:- मोहन कैबिनेट के गठन के लिए दिल्ली में मंथन चल रहा है. मध्य प्रदेश के नए मंत्रिमंडल में किसे जगह मिलेगी और किन नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा, इस पर सस्पेंस बरकरार है. फिलहाल कुछ विधायकों के नाम सुर्खियों में हैं, जिन्हें नए कैबिनेट में जगह मिल सकती है. वहीं इस बीच कुछ ऐसे नामों की भी चर्चा है, जो सीएम पद की रेस में शामिल माने जा रहे थे, लेकिन अब इन्हें कैबिनेट में भी जगह मिलती हुई नहीं दिखाई दे रही है.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी ने सीएम फेस का ऐलान नहीं किया था, इस बीच पार्टी के कई दिग्गज नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए ताल ठोकते हुए नजर आ रहे थे. अब चर्चा है कि इन दिग्गज नेताओं को मोहन कैबिनेट में जगह नहीं मिलेगी. सीएम मोहन यादव ने शुक्रवार को पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की, इसे मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है और माना जा रहा है कि मंत्रियों के नाम फाइनल किए जा चुके हैं.
पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान
सीएम पद की रेस में सबसे आगे शिवराज सिंह चौहान का नाम माना जा रहा था. मुख्यमंत्री का नाम तय होने के बाद शिवराज के राजनीतिक भविष्य को लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं. उन्होंने अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात की. बाल विकास और पर्यावरण जैसे मुद्दों अपनी दिलचस्पी भी उन्होंने जाहिर की. शिवराज सिंह के बयान से कयास लगाए जा रहे हैं कि वे केंद्र की ओर रुख कर सकते हैं या फिर उन्हें बीजेपी संगठन में कोई अहम जिम्मेदारी मिल सकती हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वे मोहन कैबिनेट में शामिल नहीं होंगे.
ज्योतिरादित्य सिंधिया
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को विधानसभा चुनाव के मैदान में नहीं उतारा गया था, इसके बावजूद वे सीएम की कुर्सी के दावेदार माने जा रहे थे. फिलहाल में केंद्र में मंत्री हैं, तो मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल में शामिल होने की कोई संभावना नहीं हैं.
गोपाल भार्गव
गोपाल भार्गव रहली से भारी मतों से विधानसभा चुनाव जीते है. वे शिवराज सरकार में मंत्री रहे थे. 2023 विधानसभा चुनावों के बाद उन्हें प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था. 2020 में रामेश्वर शर्मा को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था, जिसके बाद उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई थी, ऐसे में माना जा रहा है कि गोपाल भार्गव को भी नई कैबिनेट में शामिल करने की कम ही संभावनाएं हैं.
फग्गन सिंह कुलस्ते
केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को जब विधानसभा चुनाव में उतारा गया तो प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में उनका नाम खूब उछला. हालांकि उन्हें विधानसभा चुनाव में शिकस्त का सामना करना पड़ा, जिसके बाद उनके मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल में शामिल होने के भी कोई चांस नहीं हैं. वे केंद्र में मंत्री हैं.
नरोत्तम मिश्रा
गृह मंत्री रहे नरोत्तम मिश्रा का नाम भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल माना जा रहा था. हालांकि विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद इन अटकलों पर विराम लग गया. चुनाव हारने के बाद नरोत्तम मिश्रा भी मोहन कैबिनेट का हिस्सा नहीं बन सकेंगे.
वीडी शर्मा
वीडी शर्मा का नाम भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल माना जा रहा था. वर्तमान में वे मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष हैं और लोकसभा सदस्य भी हैं. प्रदेश में उनके नेतृत्व के दौरान पार्टी को बंपर जीत मिली है. वे विधानसभा के सदस्य नहीं हैं, ऐसे में उन्हें नए कैबिनेट में शामिल नहीं किया जाएगा.
ऐसा होगा नया मंत्रिमंडल
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राज्य के मंत्रिमंडल में नए और पुराने चेहरों का समावेश नजर आएगा. वहीं जातिगत समीकरणों को साधने की भी भरपूर कोशिश की जाएगी. इसके अलावा मध्य प्रदेश के क्षेत्रीय समीकरणों का भी ध्यान रखा जाएगा. जानकारी के मुताबिक कई नए चेहरों को इस मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है.