बासमती को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ चावल चुना गया है. फूड और ट्रेवल गाइड टेस्ट एटलस ने वर्ष 2023-24 के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ चावलों की सूची जारी की है. जिसमें पहले पायदान पर बासमती, दूसरे पर इटली का आर्बेरियो और तीसरे पर पुर्तगाल पर कैरोलिना चावल है. बासमती राइस को यूं ही नहीं पसंद किया जाता. अपनी खुशबू, स्वाद और बड़े दाने के बावजूद यह ग्लूटन फ्री भी होता है. भारतीय बासमती में फायबर अधिक होता है.पुलाव हो या बिरयानी, बासमती हमेशा से भारतीयों की पसंद रहा है. भारत दुनियाभर में बासमती चावल पहुंचाता है. हालांकि, पाकिस्तान में भी इसकी खेती होती है, लेकिन एक्सपोर्ट के मामले में भारत नम्बर वन है.
पैदावार के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच यह खींचातानी होती रही है कि आखिर बासमती चावल है किसका.2021 में जब भारत ने प्रोटेक्टेड जिओग्राफिकल इंडिकेशन (PGI) टैग के लिए यूरोपियन यूनियन में आवेदन किया तो पाकिस्तान ने विरोध करना शुरू कर दिया था. पाकिस्तान को डर था कि अगर ऐसा हो गया तो उसके हाथ से बाजार छिन जाएगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत हर साल बासमती का निर्यात करके करीब 6.8 अरब डॉलर कमाता है, वहीं पाकिस्तान में यह आंकड़ा 2.2 अरब डॉलर है.
क्या है बासमती का इतिहास?बासमती संस्कृत के शब्द वस और मायप से मिलकर बना है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, वस का मतलब है सुगंध और मायप का मतलब गहराई होता है. हालांकि इसमें इस्तेमाल हुए मती का मतलब रानी भी माना जाता है. यही वजह है कि इसे सुगंध की रानी कहते हैं. खास बात है कि इसे खुशबू के लिए जाना जाता है और इसके बनते ही महक आसपास तक पहुंच जाती है.हिमालय की तराई में उगने वाला बासमती की खेती सबसे अधिक उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में होती है.
लेकिन ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि प्राचीन भारत में भी बासमती उगाया जाता था. फूड पर लिखी किताब एरोमैटिक राइसेस के मुताबिक, हड़प्पा-मोहनजोदड़ो की खुदाई में भी इसके प्रमाण मिल चुके हैं.कहा जाता है कि जब फारसी व्यापारी कारोबार के लिए भारत पहुंचे तो अपने साथ खुशबूदार चावल की वैरायटी लेकर पहुंचे थे. इतिहास की कई किताबों में दर्ज है कि भारतीय व्यापारियों ने 1766 में मिडिल ईस्ट को चावल एक्सपोर्ट करना शुरू किया.इस तरह यह चावल अरबी और पर्शियन फूड से जुड़ा.
हालांकि भारत के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश में इसे उगाया भी गया और सालों से दुनिया के कई देशों तक पहुंचाया भी जा रहा है. वहीं भारत सबसे ज्यादा बासमती चावल सऊदी अरब, ईरान, इराक, संयुक्त अरब अमीरात और यमत समेत कई देशों को एक्सपोर्ट कर रहा है.हर खुशबूदार चावल बासमती नहीं होताबासमती की पहचान उसकी खुशबू से भी होती है, लेकिन दिलचस्प बात है कि हर खुशबूदार और लम्बा चावल बासमती नहीं होता. बासमती चावल असली है या नहीं, इसका पता बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडकेश लगाता है.
यह संगठन इसका डीएनए टेस्ट करता है. एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुताबिक, उस चावल को बासमती की श्रेणी में रखा जाता है कि जो 6.61 मिमी लम्बा और 2 मिमी मोटा होता है. लेकिन राज्यों के आधार पर भी इसका नाम रखा गया है. जैसे देहरादून में उगने वाले इस खास चावल को देहरादूनी बासमती भी कहते हैं.एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुताबिक, भारत में बासमती की कई वैरायटी मौजूद हैं. उसमें बासमती 217, बासमती 370, टाइप 3 (देहरादूनी बासमी), पंजाबी बासमती 1, पूसा बासमती 1, कस्तूरी, हरियाणा बासमती 1, माही सुगंध, तराओरी बासमती (HBC 19 / करनाल लोकल), रणबीर बासमती, बासमती 386 शामिल हैं.