नई दिल्ली:- हमारे देश में खेती के साथ-साथ पशुपालन किसानों की आय का मुख्य साधन शुरुआत से ही माना जाता रहा है. हालांकि, समय के साथ बढ़ती महंगाई ने पशुपालन करने वालों पर बुरा असर डाला है. महंगे चारा और उसकी बढ़ती लागत बड़ी चुनौती उभरकर सामने आई है. हालांकि, इस बीच पशुपालकों को कृषि विज्ञान केंद्र गंधार के सोयल एक्सपर्ट डॉ. वर्षा कुमारी ने अजोला को वरदान के रूप में बताया है.
सबसे पहले तो इसकी खेती करना काफी आसान है. इसके लिए ना ज्यादा जगह की जरूरत होती है और ना ही इसके लिए खास तैयारी करनी पड़ती है. पशु को अजोला खिलाने से दूध देने की क्षमता बढ़ती है.
मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाता है अजूला
एक्सपर्ट के मुताबिक, अजोला एक जलीय फर्न है. इसका उपयोग धान के खेत में नाइट्रोजन फिक्सेशन के रूप में करते हैं. इसके उपयोग से पौधों को नाइट्रोजन की उपलब्धता बढ़ जाती है. साथ ही इसके उपयोग से पौधों का उत्पादन क्षमता भी बढ़ जाता है. अजोला को पशु खाद्य पदार्थ के रूप में भी उपयोग करते हैं. यह वातावरण से नाइट्रोजन लेकर मिट्टी में प्रोवाइड करता है, जिससे फसलों की पैदावार और गुणवत्ता दोनों ही बढ़ जाती है. अजोला को पशु खाद्य के रूप में इसलिए इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि इसमें फाइबर और आयरन कंटेंट ज्यादा होता है, जिससे पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ जाती है. साथ ही उनके स्वास्थ्य में भी काफी सुधार हो जाता है.
पशुओं में बढ़ जाती है दूध देने की क्षमता
सोयल एक्सपर्ट ने बताया कि अक्सर देखा जाता है कि पराली का इस्तेमाल पशु चारे के रूप में करते आ रहे हैं. वहीं, बढ़ती जनसंख्या और उसके हिसाब से बढ़ती खाद्य पदार्थ की डिमांड की वजह से जानवरों के लिए हरे चारे का जो खेत है, वो कम होता जा रहा है. ऐसे में हरे चारे ना खाने के चलते पशुओं में दूध देने की क्षमता कम हो रही है. साथ ही स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है. ऐसे में यदि हरे चारे के रूप में अजोला का उपयोग करें तो 6 महीना में पशुओं में दूध देने की क्षमता 15 प्रतिशत तक बढ़ सकती है. साथ ही पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार भी हो सकता है, क्योंकि अजोला में मौजूद फाइबर कंटेंट पशुओं के स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत सही माना जाता है.
कैसे करें अजोला की खेती
इस चारे के उपयोग से गाय और बकरियों में आयरन उपलब्धता की वजह से ब्लड की मात्रा भी बढ़ जाती है. इसका उपयोग अभी पोल्ट्री फीड, डकरी फीड और कुछ जगहों पर तो ह्यूमन कंजंप्शन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. स्पाइरोलिना की तरह ही अजोला में बहुत सारे गुण मिलते जुलते हैं, जिसके चलते ह्यूमन कंजंप्शन, एनिमल कंजंप्शन और पौधा प्रोडक्शन के रूप में इस्तेमाल होना शुरू हो गया है. अजोला का उत्पादन आप या तो धान के पौधों के समय में कर सकते हैं या फिर ऑफ सीजन में एक छोटा सा गड्ढा 1 फीट गहरा खुदाई कर कर सकते हैं. यह अपना पॉपुलेशन खुद बढ़ा लेता है. सिर्फ इसे सीधी सूर्य की रोशनी से बचाना होता है. छांव में रखने पर वृद्धि तेजी से होता है. वहीं, पौधा से पौंड भर जाने पर निकालना होता है.