नैनीताल:- उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में उगने वाले माल्टा का स्वाद हर उत्तराखंडी जानता है. सर्दियों के समय विटामिन सी से भरपूर यह फल पहाड़ी इलाकों में पैदा होता है. बेहद ही रसीला स्वाद होने के साथ ही साथ हमारे स्वास्थ के लिए भी माल्टा बेहद लाभदायक है. यहां तक कि इसका छिलका भी काम का होता है. इसके छिलके को धूप में सुखाने के बाद इसे पीसकर चेहरे में लगाने से कील-मुंहासे दूर होते हैं. सर्दियों के मौसम में गुनगुनी धूप के नीचे बैठ कर उत्तराखंड में माल्टा खूब खाया जाता है. भारत में माल्टे का उत्पादन 30 फीसदी है. इसे ब्लड ऑरेंज के नाम से भी जाना जाता है. इसका वानस्पतिक नाम ‘सिट्रस सीनेंसिस’ है. कुछ फूड एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि माल्टा दुनिया का सबसे सेहतमंद फल है.
नैनीताल स्थित डीएसबी कॉलेज में वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ ललित तिवारी ने बताया कि उत्तराखंड में 400 फीट की ऊंचाई पर मिलने वाला माल्टा विटामिन सी का बेहतरीन स्रोत है. उत्तराखंड में पीले रंग का माल्टा पाया जाता है, जबकि बंगाल में हरे रंग का माल्टा पाया जाता है. स्कर्वी रोग में माल्टे का सेवन बेहद लाभदायक होता है. दांतों और मसूढ़ों के लिए भी इसे बेहद लाभकारी माना जाता है.
सेहत के लिए बेहद लाभदायक है माल्टाप्रोफेसर
तिवारी ने बताया कि माल्टा फाइबर से भरपूर है जो पाचन के लिए कारगर है. इसमें उपस्थित पोटेशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायता प्रदान करता है. माल्टा बालों को मजबूत करता है, भूख बढ़ाता है, खांसी जुकाम में भी लाभप्रद है, कफ की समस्या को दूर करता है. साथ ही एंटी ऑक्सीडेंट का भी काम करता है. उन्होंने बताया कि सर्दियों में माल्टे का एक ग्लास जूस रोजाना पीने से शरीर तंदुरुस्त रहता है. इसके साथ ही माल्टा इम्युनिटी बढ़ाता है और शरीर से बैड कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है.
जवान बनाए रखता है माल्टा
माल्टे में बीजों की संख्या बेहद कम होने के कारण इसे आसानी से खाया जा सकता है. इसके साथ ही इसमें मौजूद कोलीजन स्किन को जवान बनाए रखने के लिए एंटी एजिंग का काम करता है. इस साल माल्टा को Gl टैग भी मिल चुका है. बाजार में यह आसानी से उपलब्ध है और इसकी कीमत 30 रुपये किलो तक होती है. सामान्य तौर पर माल्टा के कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं, लेकिन ज्यादा मात्रा में इसका जूस पीने से पेट गड़बड़ा सकता है. एसिड की समस्या भी हो सकती है. यह दांत भी खट्टे कर सकता है.