इंसानों की दुनिया और जंगल दोनों में ताकतवर का ही दबदबा माना जाता है, लेकिन कभी-कभी शरीर में छोटा दिखने वाला काफी भारी पड़ सकता है जिसका अंदाजा कोई नहीं लगा पाता. ऐसा ही कुछ है ग्रास हॉपर माउस जिन्हें स्कॉर्पियन हैम्स्टर के नाम से भी जाना जाता है. अपने छोटे शरीर, गोल चमकीली आंखें और ग्रे कलर के फर के साथ यह आपको भले ही क्यूट लगे, लेकिन इसमें एक बहुत खतरनाक शिकारी छिपा होता है.इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि यह दूसरे चूहों की तरह प्लांट सीड और सब्जी खाने की जगह ताजा मांस खाना पसंद करते हैं.
इसके लिए यह खुद शिकार करते हैं और अपने रास्ते में आने वाले बिच्छू, सांप और दूसरे जीवों का भी शिकार करने में कोई झिझक नहीं करते हैं. इनकी गोल काली आंखें रात में शिकार करने के लिए बनी होती हैं और दिन के समय में यह अपने बिल में आराम करते हैं. इस प्रजाति के चूहे कभी भी अपना बिल नहीं बनाते हैं बल्कि यह दूसरे जीवों से उनका घर छीन लेते हैं.
आंखें बंद करके ढूंढते हैं शिकारग्रास हॉपर माउस मूल रूप से नॉर्थ अमेरिका के सबसे गर्म रेगिस्तान सोनारन में पाए जाते हैं. यह जीतने खूंखार होते है, उतने ही पारिवारिक भी होते हैं. यह अपनी मादा और बच्चों का साथ मरते दम तक नहीं छोड़ते हैं. रेगिस्तान में अपने लिए भोजन की तलाश करना छोटे जीवों के लिए आसान नहीं रहता, लेकिन इन चूहों ने अपने तेज दिमाग का परिचय देते हुए मरुस्थल में भी भूखे ना रहने का तरीका ढूंढ लिया है.
शिकार से निकलने वाली गंध से लगाते हैं अदांजायह अपने शिकार को ढूंढने के लिए उसकी गंध और शरीर के वाइब्रेशन से उसका पता लगाते हैं. इसके लिए यह अपनी आंखें बंद करते हैं और अपना पूरा फोकस शिकार के शरीर से आने वाले वाइब्रेशन पर लगा देते हैं. इसी कारण यह रात में भी बहुत ही आसानी से अपने शिकार तक पहुंच जाते हैं. छोटे साइज की वजह से शिकार को इनका पता भी नहीं लगता.इनका पेट किसी भी तरह के भोजन को पचाने में सक्षम होता है.
यह अपनी पानी की जरुरत भी अपने शिकार से ही पूरी करते हैं और रोजाना अपने वजन के बराबर भोजन करते हैं. वैसे तो टिड्डे इनके आहार में मुख्य रूप से होते हैं, लेकिन इससे इनका पेट नहीं भरता. इसलिए यह बिच्छू और सांप का भी शिकार करते हैं.जहर का नहीं होता असरग्रास हॉपर माउस पर किसी भी प्रकार के जहर का कोई असर नहीं होता. यह सांप की पतली स्किन को भी अपने नुकीले दांतों से फाड़ डालते हैं. यहां तक कि बिच्छुओं की प्रजाति में सबसे खतरनाक और जहरीला माने जाने वाले ट्री स्कॉर्पियन को भी यह शिकारी चूहे आसानी से मारकर अपना शिकार बना लेते हैं.
इन चूहों पर क्यों नहीं होता जहर का असरअब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इन चूहों पर किसी जहर का असर क्यों नहीं होता तो इसका जवाब है सेंसरी न्यूरॉन. इन चूहों ने धीरे-धीरे इसे अपने शरीर के अंदर विकसित किया है. सेंसर न्यूरॉन के कारण इनको दर्द महसूस नहीं होता है और न ही इनके शरीर में जहर का असर होता है. हालांकि यह भी अपने इलाके को लेकर काफी संवेदनशील होते हैं और अगर इनके इलाके में कोई दूसरा चूहा आ जाता है तो यह उसको मारने के बाद ही दम लेते है.
अपने इलाके में ही रहना पसंद करते हैंयह अपने इलाके को मार्क करने के लिए रात के समय में अपने आगे के दोनों पैरों को उठाकर भेड़िए की तरह चीखते हैं. हालांकि यह मांसाहारी होते हैं, लेकिन अगर इनको कोई शिकार नहीं मिलता तो फिर ये पेड़-पौधे खाकर भी अपना पेट भरते हैं, लेकिन इस दौरान भी इनके भोजन में 90 फीसदी कीड़े ही होते हैं.