नई दिल्ली:- बुंदेलखंड को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक खास पहचान मिल गई है. बुंदेलखंड के कठिया गेंहू को जीआई टैग मिल गया है. बुंदेलखंड क्षेत्र में पैदा होने वाली कठिया गेंहू को अब एक विशिष्ट पहचान मिल गई है. सूखे बुंदेलखंड में कठिया गेंहू बहुतायत में उगता है. झांसी के साथ ही महोबा, हमीरपुर, ललितपुर में भी इस गेंहू का खासा उत्पादन होता है. झांसी के एफपीओ कठिया वीर बंगारू प्रोडक्शन कंपनी ने जीआई टैग के लिए साल 2022 में आवेदन किया था. नाबार्ड की मदद से 2 वर्ष बाद यह टैग मिला है.
कठिया गेंहू आम गेंहू से कई मायनों में बेहतर होता है. कृषि विशेषज्ञ डॉ. संतोष पांडेय ने बताया कि कठिया गेंहू में कई प्रकार के न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं. सबसे खास बात यह है कि कठिया गेंहू में ग्लूटेन का स्तर बेहद कम होता है. यह सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. जो किसान कठिया गेंहू उगाते हैं, उनके लिए आर्थिक रूप से भी काफी फायदेमंद होता है. कठिया गेंहू की बाजार कीमत में 40 से 45 रुपए किलो है. आम गेंहू की कीमत 20 से 25 रुपए किलो ही मिलती है. जीआई टैग मिलने से कठिया गेंहू को एक्सपोर्ट करने के भी मौके मिलेंगे.
जीआई टैग दिलाएगा खास पहचान
नाबार्ड के भूपेश पाल ने बताया कि जीआई टैग का अर्थ ज्योग्राफिकल इंडिकेशंस टैग होता है. यह उन उत्पादों के लिए दी जाती है जिनकी अपनी एक खास भौगोलिक पहचान होती है. उत्पाद और उसके क्षेत्र को प्रमाणित करने के लिए यह टैग दिया जाता है. नाबार्ड की मदद से कठिया गेंहू को यह टैग दिया गया है. टैग मिलने से यहां के किसानों को इस पर एकाधिकार मिल जायेगा.