नईदिल्ली I हैदराबाद पुलिस के साउथ जोन टास्क फोर्स टीम ने कोविड की नकली हैदराबाद के मलकपेट और हैदाराबाद के हुमायूंनागर पुलिस स्टेशन इलाके से अपने काम को अंजाम देते थे. एक गिरोह का आरोपी लक्ष्मण महबूबनगर का रहने वाला है. उसने 2012 में मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा हासिल किया था. उसने एक साल पहले मलकपेट इलाके में डायग्नोस्टिक सेंटर खोला और एक मेडसिस पैथलैब के साथ टाई अप किया. फिर कोरोना महामारी में दौरान अधिक रुपये लेकर लोगों को नकली RT-PCR नेगेटिव रिपोर्ट देता था.
इसके लिए एक नेगेटिव सर्टिफिकेट के लिए 2000रु से 3000रु चार्ज करता था. दरअसल आरोपी लक्ष्मण लोगों की नाक से और मुंह से सैंपल लेने की जगह, लैब में डम्मी किट भेजता था, जिसमें रिपोर्ट नेगेटिव आती थी, यानी सर्टिफिकेट असली था, मगर रिपोर्ट नकली होती थी.
ऐसे नकली वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट बनाता था दूसरा आरोपी
इसी तरह दूसरे गिरोह का आरोपी तारिक हबीब हैदराबाद के आसिफ नगर का रहने वाला है. उसने साल 2018 में मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा हासिल किया. एक साल पहले आसिफनगर स्थित मुरादनगर में अपना डायग्नोस्टिक सेंटर शुरू किया, फिर कई लैब के साथ टाई अप होकर वहां से सैंपल लाकर टेस्ट करता था.
कोरोना महामारी के दौरान सरकार सभी को फ्री वैक्सीन दे रही है, किसी को भी बाहर जाना हो तो लोगों को अपना वैक्सीन सर्टिफिकेट दिखाना जरूरी हो गया है. इस दौरान तारिक हबीब आसानी से रुपए कमाने के लिए हुमायुनगर में एक सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत एक कंप्यूटर ऑपरेटर के साथ मिलकर बिना वैक्सीन लिए ही लोगों को वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट बना कर देता था और वैसे ही नकली RT-PCR सर्टिफिकेट बनाकर देता था. इसकी लिए वह काफी रुपए वसूलता था. एक वैक्सीन सर्टिफिकेट के लिए 800 रु से 1000 रु तक लेता था. पुलिस ने पहले मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया और दूसरे मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया.