*मध्यप्रदेश:-* आजकल लोग 28-30 की उम्र में शादी कर रहे हैं। इसके बाद वे अपनी लाइफ एंज्वॉय करते हैं और जब वे 30 की उम्र पार कर लेते हैं, तो माता-पिता बनने का प्लान करते हैं। लेकिन अधिक उम्र की वजह से कई कपल्स को गर्भधारण करने में दिक्कत होती है। हालांकि, गर्भधारण न करने के पीछे सिर्फ अधिक उम्र ही जिम्मेदार नहीं होती है। खराब खान-पान, तनाव और कई अन्य शारीरिक समस्याओं की वजह से भी कई महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। आजकल दुनियाभर में कई ऐसे कपल्स हैं, जो संतान सुख प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। जब कोई महिला नेचुरल तरीके से कंसीव नहीं कर पाती है, तो उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि साइंस इतनी तरक्की कर चुका है कि कई तकनीकों की माध्यम से भी गर्भधारण किया जा सकता है। आजकल लोग गर्भधारण करने के लिए आईवीएफ तकनीक का सहारा ले रहे हैं। लेकिन इससे पहले आईसीएसआई तकनीफ से गर्भधारण में मदद मिलती थी। आइए, जानते हैं आईसीएसआई तकनीक के बारे में-आईसीएसआई एक ऐसी तकनीक है, जिसमें महिला के अंडाशय में हर महीने बनने वाले अंडों की संख्या को बढ़ाया जाता है। इस तकनीक में अधिक संख्या में अंडे बनाए जाते हैं। आपको बता दें कि अंडों की संख्या बढ़ाने के लिए महिला को दवाइयां और इंजेक्शन दिए जाते हैं। अंडों की संख्या बढ़ाने में 10 से 12 दिनों का समय लगता है। इसके बाद, इन अंडों को महिला के शरीर से बाहर निकाला जाता है। इन अंडों को लैब में रखा जाता है। इसके बाद, पार्टनर के वीर्य से स्वस्थ स्पर्म को निकाला जाता है। अंडे में स्पर्म को इंजेक्ट किया जाता है। यानी अंडे में एक स्पर्म को छोड़ दिया जाता है, जिससे फर्टिलाइजेशन होता है। इसे 4-5 दिनों तक देखा जाता है और फिर जब इसका विकास हो जाता है, जो महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। जब भ्रूण को गर्भाशय में डाल दिया जाता है, तो फिर एचसीजी टेस्ट के माध्यम से प्रेग्नेंसी को कंफर्म किया जाता है। अगर महिला कंसीव कर लेती हैं, तो इस स्थिति में एक सप्ताह बाद लक्षण महसूस हो सकते हैं। *ICSI और IVF तकनीक में क्या अंतर होता है*आईसीएसआई और आईवीएफ तकनीक, दोनों का उपयोग गर्भधारण करने के लिए किया जाता है। जब कोई कपल नेचुरल तरीके से कंसीव नहीं कर पाता है, तो वह आईसीएसआई इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन या आईवीएफ इन विट्रो फर्टिलाइजेशन का सहारा लेता है। आईसीएसआई और आईवीएफ, दोनों रिप्रोडक्टिव तकनीके हैं। आईवीएफ और आईसीएसआई, दोनों अलग-अलग तकनीके हैं-आईवीएफ में एग्स और स्पर्म को एक साथ मिलाया जाता है। इसे टेस्ट ट्यूब बेबी के रूप में जाना जाता है। इसमें एग्स और स्पर्म को एक साथ मिलाया जाता है। फिर जब यह भ्रूम का रूप ले लेता है, तो इससे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है।