चुनाव के दौरान हर उम्मीदवार को कुछ खास नियमों का पालन करना होता है, जो आदर्श आचार संहिता (Model Set of principles) के तहत निर्धारित किए गए हैं. इन नियमों का उल्लंघन आचार संहिता का उल्लंघन कहलाता है.
मौजूदा समय में, महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावों के मद्देनजर मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू है. इसके तहत सार्वजनिक स्थानों से राजनीतिक दलों के होर्र्डिंग, बैनर, पोस्टर और सरकारी योजनाओं के प्रचार सामग्री को हटा दिया गया है. अगर कोई आचार संहिता का उल्लंघन करता है, तो इस पर शिकायत चुनाव आयोग की हेल्पलाइन 1095 पर की जा सकती है. आयोग का दावा है कि इस पर 100 मिनट के भीतर कार्रवाई की जाएगी. आइए जानते हैं कि आचार संहिता का उल्लंघन करने पर क्या सजा मिल सकती है.आचार संहिता का उल्लंघन करने पर क्या सजा हो सकती है?
चुनाव आयोग के द्वारा आचार संहिता के उल्लंघन पर सजा का निर्धारण मामले की गंभीरता और उल्लंघन के प्रकार के आधार पर किया जाता है. सबसे अधिक सजा चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध है. अगर किसी उम्मीदवार ने भड़काऊ बयान दिए, जातिवाद या धर्मवाद को बढ़ावा दिया, या सरकारी संसाधनों का गलत इस्तेमाल किया, तो उसे चुनावी प्रचार पर रोक लगाई जा सकती है. यह प्रतिबंध कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक हो सकता है.चेतावनी और नोटिसआचार संहिता के उल्लंघन की पहली प्रतिक्रिया चेतावनी या नोटिस होती है. आयोग संबंधित व्यक्ति या दल को संज्ञान दिलाते हुए सुधार करने का अवसर देता है.
चुनाव प्रचार पर प्रतिबंधअगर उल्लंघन गंभीर होता है तो चुनाव प्रचार पर कड़ी रोक लगाई जाती है. इससे उम्मीदवार या दल अपने प्रचार गतिविधियों को रोकने के लिए मजबूर होते हैं.चुनावी नामांकन रद्दआचार संहिता के उल्लंघन की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, चुनाव आयोग चुनावी नामांकन रद्द भी कर सकता है. यदि किसी उम्मीदवार ने मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए अवैध धन या शराब वितरित की हो, तो उसका नामांकन रद्द किया जा सकता है.
जुर्माना और दंडकई बार उल्लंघनकर्ताओं पर जुर्माना और वित्तीय दंड भी लगाया जाता है. यह दंड उस उल्लंघन की गंभीरता के आधार पर होता है.जेल की सजाआधिकारिक रूप से जेल की सजा भी कुछ गंभीर उल्लंघनों के लिए प्रावधानित है, जैसे चुनावी हिंसा या भड़काऊ भाषण देने पर. ऐसे मामलों में उम्मीदवार को 2 साल तक की सजा हो सकती है.