नई दिल्ली:- पृथ्वी पर हम कहीं भी चले जाएं तो आसमान नीला ही नजर आता है. वायुयान भी जब अमूमन हमें 35000 फीट की ऊंचाई तक ले जाकर उड़ान भरता है तो आकाश नीला और गहरा नीला नजर आता है, कहीं कहीं लालिमायुक्त भी. लेकिन क्या आपको मालूम है कि चांद के आकाश का रंग क्या है
क्या आपने वो तस्वीरें देखी हैं, जिसमें मानव ने सबसे पहले चांद पर कदम रखा था. वो तस्वीरें तो जरूर देखी होंगी जब भारत का चंद्रयान मिशन चांद की धरती पर पहुंचा. हाल ही जापान का रोवर भी मिशन मून के तहत वहां उतरा. इन सभी तस्वीरों में क्या आपने ध्यान दिया कि वहां के आसमान का रंग क्या नजर आ रहा था.
नीला नहीं चांद के आसमान का रंग
आपको ये बता देते हैं कि चांद के आसमान का रंग नीला तो बिल्कुल नहीं है. लाल, पीला और नीला भी नहीं. बल्कि चांद के आसमान का उसी रंग के आसपास है, जो अंतरिक्ष का रंग है.
क्या होता है अंतरिक्ष का रंग
तारों और अन्य खगोलीय पिंडों के प्रकाश के कारण अंतरिक्ष का रंग मटमैला है. हालाँकि, बेज रंग इतना छोटा है कि हमारी आंखें अंतरिक्ष को काला मानती हैं. अंतरिक्ष का रंग वास्तव में सफेद के बहुत करीब है, लेकिन जब आप ब्रह्मांड में आकाशगंगाओं, सितारों, गैस बादलों और धूल से सभी प्रकाश को जोड़ते हैं तो ये बेज लगने लगता है.
वैसे हमारा आसमान भी ज्यादा ऊंचाई पर नीला नहीं रह जाता
वैसे तो आसमान भी और ज्यादा ऊंचाई पर नीला नहीं रह जाता. समुद्र तल से लगभग 12 मील ऊपर आसमान काला होना शुरू हो सकता है, लेकिन यह स्थान और स्थितियों के आधार पर भिन्न हो सकता है. अधिक ऊंचाई पर, आकाश बहुत गहरा नीला या नीला-बैंगनी भी दिखाई दे सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिक ऊंचाई पर प्रकाश बिखेरने के लिए कम अणु होते हैं।
चांद का आसमान दिन में कैसा होता है और रात में कैसा
खैर हम बात कर रहे हैं कि चंद्रमा के आकाश का रंग वास्तव में है क्या. चंद्रमा का आकाश दिन और रात दोनों समय काला दिखाई देता है क्योंकि इसमें प्रकाश बिखेरने के लिए कोई वातावरण नहीं है. चंद्रमा का वातावरण इतना पतला है कि वहां प्रकाश बिखेरने के बाद कोई रंग दिखता ही नहीं. वायुमंडल की कमी के कारण सूर्य का प्रकाश वहां प्रकीर्णित नहीं हो पाता, इसलिए आकाश काला दिखाई देता है.
जब चांद पर सूरज चमकता है तो उसकी रोशनी पीली क्यों नहीं होती
जब चांद पर सूर्य की किरणें आती हैं, जो ना तो वो पीली नजर आती हैं और ना ही वहां से देखने पर सूर्य ही पीले रंग का आग का गोला नजर आता है. चंद्रमा से सूर्य सफेद दिखाई देता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि चंद्रमा पर घना वातावरण नहीं है, इसलिए सूर्य की रोशनी बिखरती नहीं है. जब सूर्य का प्रकाश बिना प्रकीर्णित हुए एक सीधी रेखा में चलता है, तो सभी रंग एक साथ रहते हैं. इसके चलते चमकदार सफेद रोशनी मिलती और दिखती है.
सूर्य रेडियो से लेकर गामा किरण तक सभी तरंग दैर्ध्य पर ऊर्जा उत्सर्जित करता है. हालांकि, ये अपनी अधिकांश ऊर्जा लगभग 500 एनएम उत्सर्जित करता है, जो नीली-हरी रोशनी के करीब है.
चंद्रमा की सतह का क्या रंग है
वैसे चंद्रमा की सतह ज्यादातर भूरे रंग की होती है और उस पर काले धब्बे होते हैं जिन्हें लूनर मारिया कहा जाता है. पृथ्वी से देखने पर चंद्रमा धूसर या सफ़ेद-भूरा दिखाई देता है. जब चंद्रमा की धूल भरी सतह पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है तो चंद्रमा का वास्तविक रंग मटमैला सफेद भूरा नजर आने लगता है. चंद्रमा गहरे भूरे रंग का है, जिसमें कुछ सफेद, काला और यहां तक कि थोड़ा नारंगी रंग भी मिला हुआ है.
और किन ग्रहों का आकाश नीला है
वैसे पृथ्वी के अलावा वृहस्पति के आकाश का रंग भी नीला है और साथ ही नेपच्युन का भी. बुध का आसमान भी चंद्रमा की तरह काला है. शुक्र का आसमान नारंगी है तो मंगल का आकाश लाल रंग का है. यूरेनस का आसमान सियान कलर का होता है. ग्रहों का आसमानी रंग उनके वायुमंडल की संरचना और सूर्य के प्रकाश को बिखेरने की उनकी क्षमता के कारण होता है:
जैसे बुध का वायुमंडल भी चांद की तरह पतला है लिहाजा वो भी पृथ्वी के मोटे वायुमंडल की तरह सूर्य के प्रकाश को बिखेर नहीं सकता. शुक्र में कार्बन डाइऑक्साइड से भरा घना वातावरण है जो पीले या नारंगी आकाश का निर्माण करने के लिए सूर्य के प्रकाश को बिखेरता है. वहीं बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून का वायुमंडल वायुमंडल हाइड्रोजन से बना है. सूर्यास्त के समय अन्य ग्रहों पर भी आकाश का रंग बदल सकता है.
अगर हम कोई गीला कपड़ा चांद पर लेकर जाएं तो
अगर हम कोई गीला कपड़ा चंद्रमा पर लेकर जाएं तो तुरंत सूख भी सकता है या बर्फ की तरह जम भी सकता है. चंद्रमा पर कहीं कहीं अत्यधिक तापमान होता है तो कई जगहों पर बहुत ठंड तक होती है, ये इस पर निर्भर करता है कि सूर्य कहां चमक रहा है.
अगर चांद पर पानी लेकर जाएं तो
यदि हम चंद्रमा पर पानी लेकर जाएंगे तो शायद वहां पी नहीं पाएंगे, क्योंकि पानी जैसे ही बाहर निकालेंगे या वाष्पित हो जाएगा. चांद के अलग अलग तापमान के कारण कहीं ये तुरंत उबलना शुरू कर देगा तो कहीं बिल्कुल बर्फ की तरह जम जाएगा. और अगर चांद पर पानी डाल दें तो ये तुरंत वाष्पित हो जाएगा. वाष्पीकृत जल वाष्प सूर्य की ऊर्जा और सूर्य के प्रकाश के कारण तुरंत विघटित हो जाएगा. हाइड्रोजन तुरंत अंतरिक्ष में खो जाएगा.
अगर चांद पर सामान्य कपड़ों में चले जाएं तो
अगर बिना स्पेससूट के चंद्रमा की सतह पर कदम रखेंगे तो तुरंत मृत्यु हो जाएगी. इसकी कई वजहें होंगी. चंद्रमा का वातावरण बाहरी अंतरिक्ष के समान है, जिसमें कोई हवा नहीं है. वैक्यूम दबाव है. तो सामान्य कपड़ों में जाने पर तुरंत फेफड़ों से हवा बाहर निकल जाएगी. खून उबलने लगेगा. इससे मौत हो जाएगी.
चूंकि तापमान में कई जगह बहुत गर्मी होती है औऱ कई जगह बहुत ठंड तो शरीर का सारा पानी पलक झपकते निकल जाएगा या अंदर का पानी और खून तुरंत जम जाएंगे. इस स्थिति में भी तुरंत मृत्यु हो जाएगी.