गूगल मैप्स का इस्तेमाल सभी करते हैं. लेकिन यह कम ही लोग जानते हैं कि साल 2008 में जब गूगल मैप्स भारत में लॉन्च हुआ था तो यह तुरंत ही फ्लॉप हो गया था. क्योंकि अमेरिका में हर सड़क का नाम होता है जैसे मेन स्ट्रीट, चर्च स्ट्रीट आदि. लेकिन भारत में सड़कों के नाम का इस्तेमाल कम किया जाता है. पहले भारत में गूगल मैप्स पर सभी दिशानिर्देश इस तरह होते थे बाएं मुड़िए या दाएं मुड़िए. ऐसे निर्देश लोगों को समझ नहीं आते थे, इस कारण गूगल मैप्स यहां चल नहीं पाया.लेकिन इस स्थिति से निपटने के लिए गूगल ने अपनी कर्मचारी ओल्गा और जैनेट की एक क्रिएटिव टीम बनाई और दोनों को भारत भेजा. ग्राउंड रिसर्च में उन्होंने दुकानदारों से रास्ता पूछा, लोगों से परिचित स्थानों के मार्गों के चित्र बनाने के लिए कहा और लोगों को फॉलो किया. इस तरह उन्होंने जाना कि भारत के स्थानीय लोग किस तरह रास्ता खोजते हैं.मैप्स की सफलता में रिसर्च बना अहम टूल
उन्हें पता लगा कि यहां लैंडमार्क के आधार पर रास्ता बताया जाता है. उदाहरण के तौर पर बिग बाजार से बाएं मुड़िए, सेंट्रल स्कूल के सामने आदि. इन लैंडमार्क्स में पार्क, शॉपिंग सेंटर आदि शामिल हैं. इस तरह गूगल ने अपने मैप्स में बदलाव किया और सड़कों के नाम के बजाय लैंडमार्क के आधार पर दिशा-निर्देश देना शुरू कर दिया.वाइटबोर्ड पर लिखे नोट्स से शुरू हुआ था गूगल मैप्सगूगल मैप्स की शुरुआत के बारे में बात करें तो 2004 में गूगल मैप्स के को-फाउंडर नोएल गोर्डन ने वाइटबोर्ड पर अपने आइडियाज लिखे थे जो 2008 में गूगल मैप्स के रूप में लोगों के सामने आए.
पहले गोर्डन एक क्लोदिंग फैक्टरी में फ्रैबिक कटर के तौर पर काम करते थे. इस तरह गूगल मैप्स से उन्हें दुनिया भर में पहचान मिली.अब 3D में भी मिलती है गूगल मैप से मददगूगल ने भारत में सफलता पाने के बाद अपने गूगल मैप को 2D से अपडेट करके इसे 3D में भी यूजर्स के लिए उपलब्ध करा दिया है. गूगल की ये सर्विस दुनियाभर में फ्री है, जिसका इस्तेमाल कोई भी कर सकता है.