हल्दी सिर्फ अपनी चटपटी सुगंध और खूबसूरत पीले रंग के लिए ही नहीं जानी जाती, बल्कि सदियों से आयुर्वेद में इसके औषधीय गुणों की भी प्रशंसा होती रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पीली हल्दी के अलावा सफेद और काली हल्दी भी हमारी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं? ये दोनों ही अनोखी किस्में बीमारियों से लड़ने में कमाल की ताकत रखती हैं.सफेद हल्दी (जिसे ‘जेडोआरी’ भी कहा जाता है) हल्के सफेद रंग और हल्के स्वाद के लिए जानी जाती है. वहीं, काली हल्दी अपने गहरे बैंगनी-काले रंग से अलग पहचानी जाती है. दोनों किस्मों में कर्क्यूमिनॉइड्स, फिनोलिक कंपाउंड और वोलेटाइल ऑयल मौजूद होते हैं. सफेद हल्दी की गंध और स्वाद अदरक जैसा होता है, जबकि काली हल्दी थोड़ी मिट्टी जैसी गंध और कड़वी होती है.
एक्टिव करक्यूमिन तत्व मौजूदपीली हल्दी की तरह ही सफेद और काली हल्दी में भी करक्यूमिन तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. पुरानी बीमारियों में होने वाली सूजन यानी क्रोनिक इन्फ्लेमेशन कई गंभीर बीमारियों जैसे दिल की बीमारी, गठिया और कुछ कैंसर का कारण बन सकता है. सफेद और काली हल्दी दोनों में मौजूद कर्क्यूमिनॉइड्स इस सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जिससे शरीर को इन बीमारियों से बचाते हैं.
अन्य खतरनाक बीमारियों से करती हैं बचावहानिकारक तत्वों और एंटीऑक्सीडेंट के असंतुलन से शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस पैदा होता है, जो डायबिटीज, दिमाग से संबंधित बीमारियों और दिल की बीमारी जैसी पुरानी बीमारियों को बढ़ाता है. सफेद और काली हल्दी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती हैं, जो शरीर में मौजूद हानिकारक तत्वों को बेअसर करके सेल्स को नुकसान से बचाती हैं.
इनका नियमित सेवन शरीर के नेचुरल डिफेंस सिस्टम को मजबूत करके ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कम करता है.इम्यून सिस्टम को बढ़ाती हैंमजबूत इम्यून सिस्टम शरीर को संक्रमण और पुरानी बीमारियों से बचाने में अहम भूमिका निभाती है.
सफेद और काली हल्दी में मौजूद बायोएक्टिव कंपाउंड इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करके शरीर की सुरक्षा को बढ़ाते हैं. ये किस्में न सिर्फ आपको हेल्दी रखती हैं, बल्कि पुरानी बीमारियों से लड़ने की ताकत भी देती हैं.
दिमाग को सुरक्षाअल्जाइमर और पार्किंसन जैसी दिमागी बीमारियों में सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस अहम भूमिका निभाते हैं. सफेद और काली हल्दी के सूजन कम करने और एंटीऑक्सीडेंट गुण इन्हें दिमाग की सुरक्षा के लिए भी उपयोगी बनाते हैं. ये किस्में ब्रेन नर्व डैमेज को कम करने, दिमागी क्रियाओं को बनाए रखने और न्यूरोडिजेनरेटिव बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद कर सकती हैं.