नई दिल्ली:- 2024 के चुनावी रण में केंद्र की सत्ता से नरेंद्र मोदी की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विपक्षी इंडिया गठबंधन एक बार फिर आज मंगलवार को एक साथ बैठने जा रहा है. उम्मीद है की सीट शेयरिंग और अन्य चुनावी मुद्दों पर सहमति बन सकती है.
उससे पहले शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय के जरिए कांग्रेस को बड़ी नसीहत दी गई है. इसमें पार्टी को अहंकार और मतभेद छोड़कर क्षेत्रीय दलों को उपयुक्त सम्मान देने को कहा गया है.
इंडिया’ का रथ! सारथी कौन
इंडिया’ का रथ! सारथी कौन शीर्षक से लिखे संपादकीय में कहा गया, 2024 की लड़ाई मोदी-शाह की ‘नई’ बीजेपी से है. इसके साथ ही ईवीएम, इफरात पैसा और केंद्रीय जांच एजेंसियों से भी है. इन सबके दम पर मोदी मंडल ने ‘अब की बार चार सौ पार’ का आंकड़ा सेट कर दिया है.इसमें आगे लिखा,ऐसे समय में बड़े भाई के तौर पर कांग्रेस को आगे आकर एकता का जज्बा दिखाना चाहिए.
जहां से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा वहीं हुई सबसे बड़ी हार
इसमें पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम का जिक्र करते हुए कहा है, ‘भारत जोड़ो’ यात्रा की शुरुआत ही मध्य प्रदेश से हुई, लेकिन कांग्रेस की सबसे बुरी पराजय मध्य प्रदेश में हुई. कांग्रेस के भरोसे को यहीं सबसे ज्यादा चोट पहुंची. ये तीनों राज्य ‘इंडिया’ ने नहीं बल्कि कांग्रेस ने गंवाए. कांग्रेस जीत का ‘केक’ अकेले खाना चाहती थी. इसलिए राज्य की छोटी पार्टियों और गठबंधन आदि को दूर रखा गया.
बीजेपी को हराना है तो कांग्रेस को निर्णय लेना होगा
सामना के संपादकीय में कहा है कि यदि कांग्रेस पार्टी को बीजेपी को हराना है तो उसे अपने मित्रों के साथ चर्चा करके निर्णय लेना होगा. सिर्फ महान बनने का दिखावा करने से काम नहीं चलेगा. ‘इंडिया’ गठबंधन में कई जानी मानी पार्टियां और उनके नेता हैं. वे अपने-अपने राज्य के स्वामी हैं. पश्चिम बंगाल में ममता, तमिलनाडु में स्टालिन, महाराष्ट्र में शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे, शरद पवार, झारखंड में सोरेन, उत्तर में नीतिश कुमार, लालू यादव, अखिलेश जैसे प्रमुख लोग चमत्कार करने की क्षमता रखते हैं. दिल्ली, पंजाब में केजरीवाल का सिक्का चल रहा है. इन सभी के साथ उनके हिसाब से चर्चा होना जरूरी है.
नए मित्रों को गठबंधन में शामिल करना जरूरी
संपादकीय में नए दलों को भी शामिल करने की नसीहत दी गई है. इसमें लिखा है, “कई नए मित्र गठबंधन में आना चाहते हैं, उनसे पुराने ‘मतभेदों’ को गाड़कर उनका स्वागत किया जाना चाहिए. कपिल सिब्बल जैसे जुझारू कानून के पंडित से ‘इंडिया’ गठबंधन को मदद ही मिलेगी. प्रकाश आंबेडकर की वंचित आघाड़ी रोजाना मोदी की तानाशाही के खिलाफ ताल ठोक रही है. वंचितों की इस ‘फोर्स’ को भी साथ लेना चाहिए.
इतिहास से सबक लेने की नसीहत
इसमें लिखा है, ‘कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस को इतिहास से गठबंधन का महत्व सीखना चाहिए. हिटलर की हार कई देशों की एकजुटता से हुई थी.’ एकता से ही तानाशाही पराजित होती है. कांग्रेस को इस दृष्टिकोण में पहल करनी ही होगी. हिटलर को हराना ही है, यही ध्येय होना चाहिए! ‘इंडिया’ जीतेगा. मोदी-शाह अजेय नहीं हैं. केवल इंडिया’ गठबंधन अभेद्य हो, बस इतना ही।